मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में एक बड़ा Compassionate Appointment Scam सामने आया है। फिलहाल यह मामला रीवा जिले में उजागर हुआ है, जहां 28% appointments फर्जी पाए गए हैं। शुरुआत में केवल एक मामला सामने आया था, लेकिन जांच में कई अन्य अनियमितताएं उजागर हुईं। इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। कलेक्टर ने उन्हें Show Cause Notice जारी किया है।
DEO सुदामा लाल गुप्ता के हस्ताक्षर से फर्जी नियुक्ति पत्र जारी हुए
पिछले एक साल में रीवा जिले में 36 compassionate appointments दी गई थीं। सभी 36 व्यक्तियों को notice जारी कर कागजात सहित जिला शिक्षा कार्यालय बुलाया गया, लेकिन 10 लोग नहीं पहुंचे। उनके दस्तावेजों की जांच में छह पूरी तरह फर्जी पाए गए, जबकि चार संदिग्ध हैं। यह सारे मामले पिछले एक साल में दी गई compassionate appointments से संबंधित हैं। DEO सुदामा लाल गुप्ता ने अपने कार्यकाल की जांच कराई, जिसके दौरान यह fraud सामने आया। हालांकि, जांच में उनकी स्वयं की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि उनके हस्ताक्षर से छह फर्जी appointment orders जारी किए गए।
अभी तो कई खुलासे बाकी है
फिलहाल, वर्तमान DEO सुदामा लाल गुप्ता के कार्यकाल के ही मामले सामने आए हैं। उन्होंने पांच और फर्जी compassionate appointment लेने वालों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज कराई है। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस इन फर्जी नौकरी लेने वालों की तलाश में जुट गई है। इस मामले में संलग्न लिपिक को compassionate appointment का प्रभार DEO सुदामा लाल गुप्ता द्वारा सौंपा गया था।
सुदामा लाल गुप्ता की संलिप्तता का दूसरा सबूत
Compassionate Appointment प्रभारी रमाप्रपन्न द्विवेदी की मूल पदस्थापना विकास खंड शिक्षा अधिकारी, रीवा में है, लेकिन उन्हें DEO रीवा ने attached रखा था। माना जा रहा है कि यह सारा fraud गोपनीय तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर किया गया। शासन स्तर पर compassionate appointment के आवेदन online संकुल के माध्यम से किए जाने चाहिए थे, जिसके बाद hard copy में संकुल प्रभारी के हस्ताक्षर के साथ भेजा जाना था। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया।
जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भेज दिया है
जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि सबसे पहले एक मामला सामने आया था, जिसमें नियुक्ति के बाद भी व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ। जांच में चार-पांच अन्य appointments भी संदिग्ध पाई गईं। कमेटी गठन कर जांच करने पर पता चला कि गलत दस्तावेजों के आधार पर ये compassionate appointments प्राप्त की गई थीं। इसके बाद छह लोगों के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज की गई। Nodal Officer और DEO के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है।
एडिशनल SP आरती सिंह ने बताया कि हीरामणि रावत, ओम प्रकाश कोल, सुषमा कोल, विनय रावत और रमाप्रपन्न द्विवेदी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। DEO सुदामा लाल गुप्ता ने कहा, "मैंने छह मामलों में FIR दर्ज कराई है। पहले मुझे लगा कि केवल एक मामला होगा, लेकिन फाइलें खुलवाने पर एक के बाद एक कई मामले सामने आए। सभी मामलों में एक ही पैटर्न के तहत कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से fraud किया गया।"