मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर अधिकारी को बदल गए परंतु काम करने का तरीका नहीं बदला। पहले भी क्लीनिक को एक तरफ सील करके दहशत फैलाई जाती थी। अभी भी यही हो रहा है। आज तीन क्लिनिको को सील किया गया जबकि सीलिंग के लिए कोई गंभीर स्थिति नहीं थी।
नवोदय कैंसर अस्पताल को नियम अनुसार नोटिस दिया
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अस्पतालों और क्लिनिक्स की जांच की गई। इस दौरान मप्र उपचार्यगृह एवं रूज़ोपचार संबंधी स्थापना अधिनियम के प्रावधानों के तहत सेवाओं का निरीक्षण किया गया। नवोदय कैंसर अस्पताल की जांच के दौरान बायो मेडिकल वेस्ट कंटेनर खुले पाए गए। बायोमेडिकल वेस्ट, कचरे एवं अन्य अपशिष्ट के नियमानुसार निस्तारण न करने, साफ-सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए अस्पताल को नोटिस जारी किया जा रहा है। निरीक्षण दल द्वारा अस्पताल आने वाले मरीजों और परिजनों के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए गए।
संतोषी शर्मा के क्लीनिक को बिना वजह बंद कर दिया
बैरसिया के अचारपुरा मार्ग ईंटखेड़ी में संचालित क्लिनिक में ऐश्वर्या शर्मा नाम की महिला इलाज करते हुए मिलीं। क्लीनिक में संतोषी शर्मा के नाम से इलेक्ट्रो होम्योपैथी का पंजीयन पाया गया। संचालक द्वारा बताया गया कि क्लीनिक का पंजीयन सीएमएचओ कार्यालय में नहीं करवाया गया है। अपंजीकृत क्लीनिक पर अनाधिकृत प्रैक्टिस करते पाए जाने पर इसका संचालन बंद करवाया गया है।
यहां ध्यान देना जरूरी है कि, सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन नहीं होना, कितनी गंभीर बात नहीं है कि क्लीनिक को बंद करवा दिया जाए। रही बात अनाधिकृत प्रैक्टिस की तो इसके लिए अनाधिकृत प्रैक्टिस करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
पंजीयन नवीनीकरण नहीं हुआ इसलिए क्लीनिक बंद करवा दिया
रॉयल मार्केट में संचालित क्यूर इमेजिंग एंड स्कैन सेंटर में क्लीनिक पंजीयन की वैधता समाप्त हो जाने के कारण पंजीयन नवीनीकरण न होने तक केंद्र को बंद रखा जाने के निर्देश दिए गए हैं।
यहां पर भी ध्यान देना जरूरी है कि, यदि पंजीयन का नवीनीकरण नहीं हुआ है तो केंद्र को बंद करवाना अत्याचार की श्रेणी में आना चाहिए। नवीनीकरण नहीं होने की स्थिति में पेनल्टी लगाई जाती है, ताला नहीं लगाया जाता।
विंध्य डेंटल क्लिनिक रजिस्ट्रेशन के बाद भी ताला लगा दिया
नर्सिंग होम एंड क्लिनिक निरीक्षण दल द्वारा वल्लभ नगर में चल रहे विंध्य डेंटल क्लिनिक का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान चिकित्सक द्वारा अपनी डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन प्रस्तुत नहीं किया जा सका, हालांकि यह क्लीनिक सीएमएचओ कार्यालय में पंजीकृत मिला है।
इस मामले में तो भगवान जाने निरीक्षण दल और डॉक्टर के बीच में क्या विवाद हुआ है। प्रत्येक क्लीनिक की दीवार पर डॉक्टर की डिग्री और रजिस्ट्रेशन सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपलब्ध होता है। इसके लिए निरीक्षण दल को डॉक्टर से मिलने की जरूरत ही नहीं थी। और यदि मान भी लेते हैं कि, डॉक्टर ने मांगे जाने पर डिग्री और रजिस्ट्रेशन प्रस्तुत नहीं किया तो उसे 24 घंटे का नोटिस दे सकते थे। क्लीनिक सील करने की क्या जरूरत थी।
संतोष की बात है कि, डॉ. मनीष शर्मा, भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हैं। यदि पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक होते तो एक दिन में हजारों गाड़ियां सील कर ली जाती है। यदि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में होते तो भारत के हजारों कॉलेज बंद हो जाते। यदि इनकम टैक्स कमिश्नर होते तो पूरा बाजार ही बंद हो जाता है।
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