मध्य प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अपील पर जिला प्रशासन के साथ पूरे मध्यप्रदेश में समाजसेवी नागरिकों और संस्थाओं द्वारा जल संरक्षण अभियान में अपना योगदान दिया जा रहा है। उमरिया जिले में इनोवेशन देखने को मिला है। यहां सभी प्रकार की जल संरचनाओं को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है। ताकि यदि कभी कोई किसी जल संरचना पर अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
उमरिया जिले में अमृत सरोवर को राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया
उमरिया जिले में अम़ृत सरोवर को राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जा रहा है। जिले में एक मई तक 30 अमृत सरोवरों में से 20 अमृत सरोवरों को राजस्व़ रिकार्ड में दर्ज किया जा चुका है। राजस्व अभिलेख में अन्य जल संरचनाएं नहर, तालाब, चेक डेम, स्टॉप डेम इत्यादि को भी अभिलेख मे दर्ज किया गया है। इनकी संख्या 173 है। जिले में नदी, तालाबों, घाटों, कुओं के आस पास श्रमदान करके साफ-सफाई की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ जल स्रोतों के आस-पास हुए अतिक्रमण को हटाने की भी कार्रवाई की जा रही है। तहसीलदार मानपुर ने बताया कि चितौहा, नाला डोडका, ताजिया नाला, मझखेता ग्राम पंचायत के अंतर्गत 0.185 हैक्टेयर में हुए अतिक्रमण को हटाने की भी कार्रवाई की गई।
मध्य प्रदेश में जल संरचनाओं पर अतिक्रमण के खिलाफ कानून
- मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 और अन्य स्थानीय कानून भी सरकारी भूमि और जल संसाधनों पर अतिक्रमण को नियंत्रित करते हैं।
- जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत जल स्रोतों को प्रदूषित करना या उनकी संरचना को नुकसान पहुंचाना भी अपराध है।
- भारतीय न्याय संहिता के तहत जल संरचनाओं पर अतिक्रमण करने वाले को एक साल जेल की सजा का प्रावधान है।
- यदि कोई व्यक्ति जल स्रोत को प्रदूषित करता है या उसकी संरचना को नुकसान पहुंचाता है, तो भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 325 और 326 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
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