भारत में मुस्लिम समाज के हितों के संरक्षण में सदैव संघर्ष करने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार श्री दिग्विजय सिंह का डबल स्टैंडर्ड एक बार फिर दिखाई दिया है। युद्ध विराम और पाकिस्तान द्वारा उसके तत्काल उल्लंघन किए जाने के बाद श्री दिग्विजय सिंह ने जो बयान दिया वह उनके डबल स्टैंडर्ड को प्रमाणित करता है। उनके लड़खड़ाते हुए शब्द, पाकिस्तान को संरक्षित करने की कोशिश और पार्टी लाइन के बीच में डिफरेंट साफ दिखाई दिया है।
सबसे पहले दिग्विजय सिंह का बयान सुनिए
ANI के अनुसार मध्य प्रदेश के गुना में, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, "हम एक बात कहेंगे कि हर समस्या का हल बातचीत से होता है और युद्ध आखिरी विकल्प होना चाहिए...पाकिस्तान आतंकवादियों का गढ़ बन गया है। पाकिस्तान की सरकार खुलेआम आतंकवादियों को प्रशिक्षित करती है और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करती है। ये सारी बातें अब स्पष्ट हो चुकी हैं...पाकिस्तान पूरी तरह से आतंकवादियों का गढ़ बन गया है…"#WATCH गुना, मध्य प्रदेश: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, "हम एक बात कहेंगे कि हर समस्या का हल बातचीत से होता है और युद्ध आखिरी विकल्प होना चाहिए...पाकिस्तान आतंकवादियों का गढ़ बन गया है। पाकिस्तान की सरकार खुलेआम आतंकवादियों को प्रशिक्षित करती है और उन्हें आतंकवादी… pic.twitter.com/1vtAqZwVvv
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 11, 2025
दिग्विजय सिंह के बयान की समीक्षा
आज दिनांक 11 MAY 2025 की स्थिति में दिग्विजय सिंह की इस लाइन (हर समस्या का हल बातचीत से होता है और युद्ध आखिरी विकल्प होना चाहिए) का कोई महत्व ही नहीं है। लेकिन उन्होंने ऐसा कहा क्योंकि, उनका व्यक्तिगत, पाकिस्तान को भारत से बचाने की चेष्टा करता है। उनके अंदर बैठा हुआ दिग्विजय सिंह चाहता है कि, युद्ध नहीं होना चाहिए, पहलगाम के हमले के बाद भी बातचीत के माध्यम से इस समस्या का हल निकालना चाहिए।
बयान के बीच में अचानक उनके ध्यान में आया कि पार्टी लाइन कुछ और है और यहां वह अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का उपयोग नहीं कर सकते। यदि किया तो कांग्रेस पार्टी से निकाल दिए जाएंगे और किसी कम्युनिस्ट पार्टी की पॉलिटिक्स करनी पड़ेगी। इसलिए उन्होंने अपने बयान में अगले वाक्य पार्टी लाइन के आधार पर कहे। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवादियों का गढ़ बताया। फिर पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम का उल्लंघन किए जाने की बात भी कही लेकिन कृपया श्री दिग्विजय सिंह के बयान को फिर से सुनिए।
उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम का उल्लंघन किया गया। भारत की संप्रभुता का संकल्प लेने वाले किसी भी नेता को पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम का उल्लंघन किए जाने पर दुख नहीं बल्कि आक्रोश होना चाहिए लेकिन श्री दिग्विजय सिंह को दुख है। दुख तब होता है जब कोई अपना व्यक्ति अपराध कर देता है। दुश्मन सीमा पार करे तो एक क्षत्रिय को दुख नहीं आक्रोश होना चाहिए।
श्री दिग्विजय सिंह ने अपने बयान के अंत में कहा कि, पाकिस्तान के द्वारा युद्ध विराम का उल्लंघन उचित नहीं है और इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कृपया एक बार फिर श्री दिग्विजय सिंह के बयान को ध्यान से सुनिए। उपरोक्त शब्द कहते हुए श्री दिग्विजय सिंह की "जिव्हा" लड़खड़ा रही थी। शब्द गले से बाहर नहीं निकल रहे थे। उन्होंने इतने धीरे से कहा कि, लोग सुन भी नहीं पाए और औपचारिकता भी पूरी हो जाए।
दिग्विजय सिंह को इंदिरा गांधी की याद क्यों नहीं आई
शनिवार की शाम युद्ध विराम की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रत्येक नेता को न केवल इंदिरा गांधी की याद आई बल्कि कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं ने मिलकर पूरे भारत देश को इंदिरा गांधी की याद दिलाए। विजय सिंह स्वयं को कर्मठ कांग्रेसी प्रदर्शित करते हैं, लेकिन इस अवसर पर स्वर्गीय इंदिरा गांधी को याद करने के लिए उनके पास समय और शब्द नहीं थे। एक बार फिर उन्होंने औपचारिकता पूरी करने के लिए किसी पत्रकार की कविता को शेयर किया।
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