DAMOH कलेक्टर फेल, नरसिंहपुर के टीचर सबसे टॉपर, MP BOARD परीक्षाओं की समीक्षा

माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश, भोपाल द्वारा राज्य की सबसे बड़ी परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है। मध्य प्रदेश में इस बार 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। सबसे अच्छा रिजल्ट नरसिंहपुर जिले का रहा और सबसे खराब दमोह जिले का। दोनों जिलों में काफी समानता है। नरसिंहपुर में शिक्षकों की रणनीति सफल हो रही है और दमोह में पिछले 4 साल से कलेक्टर का डंडा फेल होता आ रहा है। 

नरसिंहपुर के टॉप करने के कारण

नरसिंहपुर जिले में इस बार 90% से अधिक रिजल्ट हासिल किया है। यह पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है लेकिन यह रिजल्ट अचानक नहीं आ गया है। नरसिंहपुर जिले के शिक्षक पिछले कई सालों से लगातार मेरिट लिस्ट में आने की कोशिश कर रहे हैं। 2022 में 81% मिला था। 2023 में 1% की गिरावट दर्ज हुई। 2024 में रिकवरी करके फिर से 81% हासिल किया। इतने सालों में रास्ते के पत्थर, गड्ढे और उनसे बचकर निकालने के तरीके समझ में आ गए थे। इसलिए इस बार सीधे 10% का हाई जंप किया है। नरसिंहपुर का रिजल्ट 81% से 91% हो गया है। अब कहा जा सकता है कि नरसिंहपुर जिले में मध्य प्रदेश के सबसे अच्छे शासकीय शिक्षक होते हैं। यहां सबसे अच्छी बात यह भी है कि अधिकारियों और शिक्षकों के बीच में एक प्रतिबद्धता दिखाई देती है। शिक्षक अपना काम सबसे अच्छे तरीके से करने की कोशिश करते हैं और अधिकारी उन्हें परेशान नहीं करते। 

दमोह के फिसड्डी रह जाने जाने के पीछे कारण

मध्य प्रदेश में दमोह जिला सबसे फिसड्डी रहा। जहां मध्य प्रदेश का रिजल्ट 70% से अधिक है वहां दमोह जिला 50% पर सिमट गया। इसके पीछे का कारण नरसिंहपुर जिले से बिल्कुल उल्टा है। यहां के शिक्षक कक्षाओं पर ध्यान नहीं देते। अपनी कक्षा का रिजल्ट उनकी प्रतिष्ठा का विषय नहीं है। दमोह जिला नकल के लिए बदनाम रहा है। पिछले कुछ सालों में कलेक्टरों ने परीक्षा में नल बंद करवाने के लिए कड़े कदम उठाए। इसके कारण रिजल्ट लगातार खराब होता चला गया। 2023 के पहले 80% से अधिक रहता था। अब गिरते गिरते 50% पर आ गया है। इस गिरावट के पीछे सिर्फ कलेक्टर जिम्मेदार है। उन्होंने पूरा इलाज नहीं किया। 

डॉक्टर जब किसी बीमार शरीर का इलाज करता है, और जान बचाने के लिए किसी ऐसी दवाई का उपयोग करता है जो शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचा सकती है तो उस नुकसान से बचने के लिए कुछ दूसरी दवाइयां भी देता है। एक तरफ बीमारी के वायरस पर हमला करता है तो दूसरी तरफ शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाने का काम भी करता है। दमोह में कलेक्टर ने नकल रोकने के लिए इंजेक्शन तो लगा दिया लेकिन इसके साइड इफेक्ट से बच्चों को बचाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया। 

पूरे साल कलेक्टर और टीचर्स के बीच में एक प्रतियोगिता चलती रही। कलेक्टर सभी टीचर्स को स्कूल में उपस्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहे और टीचर्स लगातार बंक मारते रहे। 

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