भारत में Government employee एवं अधिकारियों (Officer) को संरक्षण प्राप्त है। कुछ ऐसे अपराध होते हैं जिनमें साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद न्यायालय को संज्ञान लेने से पहले केंद्र अथवा राज्य सरकार की permission आवश्यक होती है, परंतु सभी प्रकार के मामलों के लिए ऐसी शर्त नहीं है। कई प्रकार के अपराध ऐसे हैं जिनके सामने आने पर न्यायालय किसी भी अधिकारी के खिलाफ संज्ञान ले सकता है। आइए इसे समझते हैं:-
Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 218 की परिभाषा
न्यायालय केन्द्र सरकार की अनुमति (मंजूरी) के बिना कब संज्ञान लेगा - (When the court will take cognizance without the permission of the Central Government):
अगर कोई शासकीय सेवक या Magistrate,सशस्त्र बल (कोई भी सेना जो केन्द्र सरकार के अधीन कार्यरत हो) लोकसेवक अपराध करता है तब न्यायालय को Central government की अनुमति के बगैर मामले का संज्ञान नहीं लेगा।
न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की अनुमति पर संज्ञान लेना:-
(Taking cognizance on the State Government's permission (approval) by the court):
अगर कोई शासकीय सेवक (Government servant) या Magistrate, पुलिस बल (अन्य कोई बल राज्य सरकार के अधीन कार्यरत हो) लोकसेवक (Public servant) अपराध करता है तब न्यायालय को राज्य सरकार की अनुमति के बगैर मामले का संज्ञान नहीं लेगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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