भारतीय पंचांग की सबसे शक्तिशाली तिथि, अक्षय तृतीया भारत में दिनांक 30 अप्रैल 2025 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। भारत के कुछ क्षेत्रों में इसे आखातीज भी कहते हैं। यहां पर अक्षय का मतलब होता है जिसका क्षय नहीं होता, जो कभी नष्ट नहीं होता। भारतीय संस्कृति में यह तिथि सभी प्रकार की शुभ कार्यों के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सभी घरों में पूजा पाठ किए जाते हैं। हम आपको बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करने के उद्देश्य से क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए:-
भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या ना करें
भविष्य पुराण में अक्षय तृतीया को "कृतयुगादि तिथि" के रूप में वर्णित किया गया है। बताया गया है कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था। इस दिन किए गए दान, जप, तप, और शुभ कार्यों का फल अक्षय होता है, अर्थात कभी नष्ट नहीं होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से अक्षय सौभाग्य और अक्षय समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन योग्य व्यक्तियों को जल, अन्न, और वस्त्र दान करना चाहिए। भविष्य पुराण में अक्षय तृतीया के दिन अपवित्रता, क्रोध, और तामसिक कार्यों को वर्जित किया गया है। तामसिक कार्य का मतलब होता है किसी को धोखा देना, हिंसा करना, आलस में आवश्यक कार्य को टालना, नशा करना, मांसाहार करना।
श्रीमद्भगवद् गीता (अध्याय 18, श्लोक 25) में कहा गया है:
अफलाकाङ्क्षिभिर्यज्ञो विधिदृष्टो य इज्यते।
यष्टव्यमेवेति मनः समाधाय स सात्त्विकः॥
पद्म पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या ना करें
पद्म पुराण में स्थिति को भगवान विष्णु के अवतार परशुराम को समर्पित किया गया है। यह दिन भगवान परशुराम का जन्मदिन है। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के अतिरिक्त पितरों के तर्पण का भी महत्व बताया गया है। शेष सभी व्याख्यान भविष्य पुराण के अनुसार ही है। पद्म पुराण में, भविष्य पुराण के निर्देशों के अतिरिक्त भगवान परशुराम की पूजा और पितरों के तर्पण का उल्लेख किया गया है।
स्कंद पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या ना करें
स्कंद पुराण में अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ सावे (स्वयंसिद्ध शुभ मुहूर्त) के रूप में वर्णित किया गया है। इसका अर्थ होता है किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह संस्कार, नवीन गृह प्रवेश, नवीन व्यवसाय का प्रारंभ, सोना चांदी या अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी इत्यादि के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ और मंगलकारी बताई गई है। स्कंद पुराण में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और तुलसी के पूजन का महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन उधार लेना या उधर देना दोनों ही अशुभ बताए गए हैं। जबकि दान का महत्व बताया गया है।
मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या ना करें
मत्स्य पुराण में अक्षय तृतीया को "युगादि तिथि" अर्थात युग के प्रारंभ की तिथि बताया गया है। पवित्र गंगा आदि पूज्य नदियों में स्नान का निर्देश दिया गया है। मत्स्य पुराण में भी पितरों के लिए तर्पण और पितृ दोष से मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करने का महत्व बताया गया है। इस दिन निर्धन नागरिकों को भोजन करने से श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। भविष्य पुराण के अनुसार सभी वर्जित कर्मों को मत्स्य पुराण में समर्थन दिया गया है।
नारद पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या ना करें
नारद पुराण में माता लक्ष्मी की पूजा को विशेष बताया गया है। श्री सूक्त का पाठ करने का निर्देश दिया गया है। जल से भरे घड़े, पंखे, और छाते का दान करने का निर्देश दिया गया है। लालच, छल, और अनैतिक कार्यों कोई वर्जित किया गया है।
अक्षय तृतीया के दिन महत्वपूर्ण घटनाएं
- भगवान विष्णु को समर्पित प्राचीन तीर्थस्थल, बद्रीनाथ मंदिर के पट खोले जाते हैं।
- वृंदावन में श्री बांके बिहारी जी के चरणों का दुर्लभ दर्शन केवल इसी दिन होते हैं।
- महर्षि वेद व्यास द्वारा महाभारत के लेखन की शुरुआत इसी दिन से की गई थी।
- इसी दिन पृथ्वी पर जीवन दायिनी पवित्र गंगा का अवतरण हुआ था।
- यही वह दिन है जब भगवान कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर को अक्षय पात्र प्रदान किया गया था।
- इसी दिन भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा का मिलन हुआ था।
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