MP NEWS - जैन धर्म के लोगों को तलाक के अधिकार हेतु हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

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मध्य प्रदेश में जैन धर्म के लोगों को तलाक के अधिकार के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इंदौर की फैमिली कोर्ट ने जैन धर्म के लोगों को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक मंजूर करने से इनकार कर दिया। अब तक 29 याचिकाएं खारिज की जा चुकी है। हाई कोर्ट ने जैन धर्म के लोगों के सभी तलाक मामलों को, इस याचिका पर फैसला आने तक HOLD करने के आदेश दिए हैं। 

मध्य प्रदेश में जैन धर्म के लोगों को तलाक क्यों नहीं मिलता

इंदौर फैमिली कोर्ट का कहना है कि सन 2014 में जैन समाज को एक अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा मिल गया है। इसलिए अब जैन समुदाय, हिंदू धर्म के तहत एक समाज नहीं है। इसलिए जैन समुदाय के लोगों पर हिंदू विवाह अधिनियम लागू नहीं होता है। फैमिली कोर्ट ने कहा कि जैन धर्म वैदिक परंपराओं का पालन नहीं करता, जाति को नहीं मानता और इसके अपने पवित्र ग्रंथ हैं। उल्लेखनीय है कि, सन 2014 से पहले तक जैन समुदाय के लोगों को भारत में हिंदू धर्म के जैन समाज के रूप में मान्यता प्राप्त थी परंतु अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा मिलने के बाद यह स्थिति बदल गई है। इसलिए फैमिली कोर्ट के सामने जितनी भी याचिकाएं आती हैं। फैमिली कोर्ट उन्हें खारिज कर देती थी। अकेले इंदौर की फैमिली कोर्ट ने अब तक 29 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। 

हाई कोर्ट ने जैन धर्म के सभी तलाक मामलों को HOLD करने के आदेश दिए

फैमिली कोर्ट के इस फैसले को वकीलों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एके सेठी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। याचिकाकर्ता के वकील पंकज खंडेलवाल ने तर्क दिया कि जैन समुदाय के लोग ऐतिहासिक रूप से हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही कानूनी राहत पाते रहे हैं। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2 में बौद्ध, जैन और सिख समुदाय को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है। अगर जैन समुदाय को इससे बाहर रखा जाता है, तो उनके वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए कोई कानूनी मार्ग नहीं बचेगा।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक परिवार न्यायालय को केवल धर्म के आधार पर तलाक याचिकाओं को खारिज करने से रोका जाता है। अब इस मुद्दे पर 18 मार्च को अगली सुनवाई होगी, जिसमें यह तय होगा कि जैन समुदाय के लोगों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत राहत मिलेगी या नहीं।

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