HC JUDGEMENT - बलात्कार में साथ देने वाली महिला के खिलाफ इस धारा के तहत मुकदमा होना चाहिए

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हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश के विद्वान न्यायमूर्ति श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल ने प्रशांत गुप्ता व अन्य बनाम मध्य प्रदेश स्टेट मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यह निर्धारित किया है कि यदि किसी बलात्कार की घटना में, कोई महिला भी शामिल है तो उसके खिलाफ किस धारा के तहत मुकदमा होना चाहिए। अब तक विभिन्न पुलिस थानों में धारा 376/34 के तहत मामूली दर्ज किए जाते थे। 

BHOPAL SAMACHAR - प्रशांत गुप्ता व अन्य बनाम मध्य प्रदेश स्टेट

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के छोला मंदिर थाना क्षेत्र में रहने वाले श्री अभिषेक गुप्ता का एक लड़की के साथ अफेयर चल रहा था। अभिषेक ने 21 अप्रैल 2021 को लड़की को शादी का वादा किया और उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाए। अभिषेक के अफेयर की जानकारी अभिषेक की मां और उसके भाई को भी थी। अभिषेक और लड़की की सगाई करवाई गई। दोनों नियमित रूप से अभिषेक के घर के अंदर अभिषेक की मां के बेडरूम में फिजिकल रिलेशन बनाते थे। बाद में अभिषेक और उसके घर वालों ने शादी से मना कर दिया। लड़की ने दिनांक 21 अगस्त 2022 को छोला मंदिर पुलिस थाने में जाकर पुलिस से शिकायत की। 

लड़की की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अभिषेक, उसके भाई प्रशांत और अभिषेक की मां के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376(2)(n), 190, 506-II और 34 के तहत मामला दर्ज किया। जांच के बाद भोपाल के जिला न्यायालय में चार्ज शीट पेश की गई। दिनांक 22 अगस्त 2023 को न्यायालय द्वारा आईपीसी की धारा 376 सहपठित 34, 506-II और 190 के तहत आरोप तय किए गए। इसके बाद अभिषेक के भाई प्रशांत और अभिषेक की मां ने Cr.P.C. की धारा 397 और 401 के तहत हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की।

इसमें दावा किया गया कि, अभिषेक की मां एक महिला है। उन्हें आईपीसी की धारा 376/34 के तहत ना तो आरोपी बनाया जा सकता है और ना ही दंडित किया जा सकता है, क्योंकि एक महिला दूसरी महिला का बलात्कार नहीं कर सकती है। विद्वान न्यायमूर्ति श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल ने वकील की इस दलील से सहमत होते हुए आदेशित किया कि जिला न्यायालय में इस मामले की सुनवाई आईपीसी की धारा 376/34 के तहत नहीं बल्कि आईपीसी की धारा 376/109 के तहत की जाए। यहां धारा 109 का मतलब होता है अपराध के लिए दुष्प्रेरण अर्थात धारा 376/109 का तात्पर्य हुआ अपने बेटे को किसी महिला के बलात्कार के लिए उकसाना। 

न्यायमूर्ति श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल के इस न्याय दृष्टांत के साथ ही यह भी निश्चित हो गया कि यदि किसी बलात्कार के मामले में, किसी महिला द्वारा बलात्कारी का साथ दिया गया है तो ऐसा मामला आईपीसी की धारा 376/34 के तहत नहीं बल्कि 376/109 के तहत दर्ज किया जाना चाहिए। 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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