मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पब्लिक का कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान पर भरोसा कम होने लगा है। समाधान नहीं मिलता इसलिए लोगों ने शिकायत लेकर आना ही बंद कर दिया है। आज जनसुनवाई के अवसर पर सिर्फ 42 लोग आए। कलेक्टर मकर संक्रांति की पतंग उड़ाने गई थी। छोटे अधिकारियों ने सिर्फ 18 आवेदन दर्ज किया और 24 आवेदन डिपार्टमेंट के अधिकारियों को फॉरवर्ड कर दिए।
जनसुनवाई के प्रति कलेक्टर की बेरुखी
कलेक्ट्रेट में आयोजित जन-सुनवाई में इस बार सिर्फ 42 लोगों की समस्यायें सुनी गईं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विवेक कुमार, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू अरुण कुमार व श्री टी एन सिंह सहित जिला प्रशासन के कुछ अन्य अधिकारी उपस्थित थे। जन-सुनवाई में प्राप्त हुए 42 आवेदनों में से 18 दर्ज किए गए। शेष 24 आवेदन संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को सीधे ही निराकरण के लिये दिए गए।
आवेदन तो कभी भी कर सकते हैं, जनसुनवाई क्यों होती है
मध्य प्रदेश में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक किसी के भी कार्यालय में किसी भी कार्य दिवस पर जनता अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए आवेदन कर सकती है। आवेदन प्राप्त करने के लिए कोई ना कोई अधिकारी हमेशा टेबल पर होता है। विधिवत पावती भी मिलती है। फिर क्या कारण है कि मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है। दरअसल, जनसुनवाई का लक्ष्य यह था कि सभी विभागों के अधिकारी एक साथ एक स्थान पर बैठेंगे और समस्याओं का तत्काल निपटारा किया जाएगा। यदि कोई मामला पेंडिंग हुआ भी तो उसे अगले मंगलवार से पहले निपटा दिया जाएगा।
कलेक्टर के लिए जनसुनवाई से ज्यादा इंपॉर्टेंट क्या था
मकर संक्रांति पर्व पर आनंद उत्सव का आयोजन किया गया था। बाल भवन में आयोजित कार्यक्रम में नगर निगम सभापति श्री मनोज तोमर मुख्य आतिथ्य थे। पतंगबाजी व चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान नगर निगम ग्वालियर द्वारा आयोजित की गईं इन प्रतियोगिताओं में शामिल हुईं और फोटो शूट करवाया।
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