BHOPAL NEWS - कलेक्टर ने सिर्फ औपचारिकता के लिए रैन बसेरों का निरीक्षण किया

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह का काम करने का अपना अंदाज है। रैन बसेरों का निरीक्षण करने के लिए मुख्यमंत्री भी रात के समय निकालते हैं परंतु भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह आज जब भोपाल का तापमान पचमढ़ी से भी कम हो गया, मीडिया ने मामला उठाना शुरू कर दिया और दोपहर के समय शीत लहर जैसा आभास हुआ। तब रैन बसेरों की औपचारिक विजिट के लिए निकले।

कलेक्टर ने रैन बसेरा जाकर क्या किया 

कलेक्टर कार्यालय से प्रेस को दी गई जानकारी के अनुसार, कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आज शहर के विभिन्न रैन बसेरों का दौरा कर वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने ठंड के मौसम में बेघर और जरूरतमंद लोगों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का बारीकी से जायजा लिया। कलेक्टर ने सुनिश्चित किया कि रैन बसेरों में रह रहे लोगों को ठंड से राहत देने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं मौजूद हों।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्री सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रैन बसेरों में पर्याप्त सफाई, बिस्तर, कंबल और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि रैन बसेरों में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण और सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए। कलेक्टर ने यह भी निर्देश दिया कि रैन बसेरों में नियमित रूप से व्यवस्थाओं की समीक्षा की जाए और किसी भी प्रकार की कमी को तुरंत दूर किया जाए।

कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि ठंड के मौसम में कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति खुले में न सोए और सभी को रैन बसेरों में शरण दी जाए। उन्होंने अधिकारियों को सतर्कता बरतने और त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए ताकि किसी भी व्यक्ति को कोई असुविधा न हो। 

क्या करना चाहिए था और क्या नहीं किया

जिस प्रकार रात्रिगश्त का निरीक्षण करने के लिए पुलिस डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी रात के समय निकालते हैं। कलेक्टर को भी रात के समय निरीक्षण करना चाहिए था। इसका नाम ही "रैन बसेरा" है। जिसका अर्थ होता है रात का बसेरा। दिन में तो वैसे भी वहां कोई अव्यवस्था नहीं होती। 
कलेक्टर के प्रेस नोट में लिखा है कि, "विभिन्न रैन बसेरों का दौरा" यहां विभिन्न से क्या तात्पर्य है स्पष्ट नहीं किया गया है और समझ में नहीं आया कि "विभिन्न" का उपयोग ही क्यों किया गया है। 

निरीक्षण में क्या मिला क्या नहीं मिला, प्रेस को नहीं बताया 

इसके अलावा कलेक्टर कार्यालय द्वारा दी गई पूरी जानकारी को ध्यान से पढ़िए। आपको ध्यान में आएगा कि यह बिल्कुल नहीं बताया कि आएगी कौन से रेन बसेरा में क्या सुविधा मिली और क्या नहीं मिली। उन्होंने किसी अधिकारी को क्या निर्देश दिए। कोई डिटेल नहीं है। शुरू से अंत तक केवल यही बताया जाए कि क्या होना चाहिए। 

कलेक्टर ने एक भी यात्री से हाल-चाल नहीं पूछा

कलेक्टर ने एक भी यात्री से नहीं पूछा कि उसे सारी सुविधाएं मिल रही है या नहीं क्योंकि जिन कमरों में कलेक्टर निरीक्षण करने गए, वहां पर कोई यात्री ही नहीं था। इस समाचार में संलग्न सभी फोटो कलेक्टर कार्यालय द्वारा भेजे नहीं। आप खुद देख लीजिए। यह फोटो बहुत कुछ कह रहे हैं।

विभिन्न नहीं सिर्फ एक रेन बसेरा था 

कलेक्टर कार्यालय की ओर से प्रेस को झूठी जानकारी भेजी गई, जो प्रेस नोट के साथ संलग्न फोटो से फैक्ट चेक हो गई। टोटल 8 फोटोग्राफ हैं। सब एक ही कमरे के हैं। मजेदार बात यह है कि कड़ाके की ठंड में, कलेक्टर ने जिस कमरे का निरीक्षण किया उसमें यात्रियों के लिए कूलर लगे हैं।

140 क्षमता वाले रैन बसेरा में 300 यात्री ढूंसे हुए थे, LOCAL-18 की रिपोर्ट

यहां उल्लेख करना जरूरी है कि भोपाल में रैन बसेरों की हालत बहुत खराब हो गई है। सरकार की तरफ से रजाई गद्दा मिलना तो दूर की बात है, लोगों को लेटने के लिए जमीन नहीं मिल रही है। इसी समस्या को लेकर हाल ही में भोपाल के कुछ नया लोकल न्यूजपेपर्स, एवं LOCAL 18 आदि कुछ प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल द्वारा द्वारा ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग की गई थी और फोटो पब्लिश किए गए हैं।  न्यूज़ 18 के पत्रकार श्री अनुराग पांडे ने बताया कि, भोपाल के रैन बसेरों में निर्धन नागरिकों को रात्रि भोजन नहीं दिया जा रहा है। 140 की क्षमता वाले शाहजहांनी पार्क के पास स्थिति रैन बसैरा में 300 से ज्यादा यात्री वीडियो कैमरे में कैप्चर किए गए। 

इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि बाहर से आने वाले मरीजों को इलाज के लिए हर रोज अस्पताल बुलाया जाता है परंतु रात्रि विश्राम की व्यवस्था नहीं दी जाती है। रैन बसेरों में रुकने के लिए भेज दिया जाता है। जबकि रैन बसेरों में जगह ही नहीं बची है।

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