SHREE GANESHA INTERESTING FACTS 09 - श्री गणेश के बारे में रोचक जानकारियां, पढ़िए

श्री गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव 11वें दिन श्री गणेश प्रतिमा की विदाई के साथ पूरा हो जाता है। विसर्जन के अनुष्ठान में श्री गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है। भगवान श्री गणेश के 32 रूपों में से सभी रूपों में कुछ प्रतीक, श्री गणेश के हर रूप में शामिल होते हैं।  इसलिए हम कोई भी कार्य प्रारंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं। जिसका उद्देश्य यह है कि श्री गणेश जी हमें सद्बुद्धि प्रदान करें। जिससे हम उस कार्य को सही तरीके से संपन्न कर सके। परंतु अब सवाल यह है कि हमें सद्बुद्धि कैसे प्राप्त हो? तो इसका उत्तर भी गणेश जी के स्वरूप में ही छुपा हुआ है। तो चलिए आज 1 मिनट से भी कम समय में श्री गणेश जी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रतीक के बारे में जानने की कोशिश करते हैं

श्री गणेश जी के प्रतीक - SYMBOLS OF SHREE GANESHA

हाथी जैसा मुख-  श्री गणेश जी का मुख हाथी जैसा होता है। इसलिए गणेश जी को "गजानन" भी कहा जाता है।  गज का अर्थ है -हाथी और आनन का अर्थ है -मुख अर्थात "गजानन"। हाथी विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली पशु है और हाथी से अन्य सभी पशु जैसे -शेर, चीता आदि घबराते हैं। परंतु हाथी बहुत ही दयालु, सीधा और सरल, प्रसन्नचित रहने वाला प्राणी है। हाथी आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति वाला प्राणी है और सबसे बड़ी बात यह है कि इतना अधिक ताकतवर होने के बाद भी हाथी पूर्णता शाकाहारी होता है और अपने पूरे जीवन में कभी भी तामसिक पदार्थ नहीं खाता।  
सिंदूर- सिंदूर शुद्धता, पवित्रता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, परिश्रम, आत्मबल, तेज, शक्ति आदि का प्रतीक है।
चूहा - चूहा चंचलता, अस्थिरता, भटकाव आदि का प्रतीक है।
रिद्धि -सिद्धि - रिद्धि -सिद्धि धनवैभव, खुशहाली, संपन्नता और सुख -शांति का प्रतीक है।

श्री गणेश जी के प्रतीक - वास्तविक अर्थ- ACTUAL MEANING OF SYMBOLS OF SHREE GANESHA

इस प्रकार श्री गणेश जी द्वारा हमें प्रतीक के माध्यम से समझाया गया है कि मनुष्य का मन चंचल और अस्थिर होता है। इसलिए मनुष्य प्रगति नहीं कर पाता अतः मनुष्य तामसिक पदार्थ का त्याग करके केवल शाकाहार करे। तभी वह ईमानदार और परिश्रमी बन पाएगा और इसी से मनुष्य की बुद्धि अच्छी हो जाती है यानी सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सफलता की ओर आगे बढ़ सकता है।  

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