BNS 227 - मिथ्या साक्ष्य देना कब अपराध होता है, कब नहीं होता है

आरोपी स्वयं को बचाने के लिए किसी भी सरकारी विभागों से लेकर न्यायालय तक झूठ पर बोलते रहते हैं एवं झूठे साक्ष्य देकर न्यायालय को या सरकारी विभागों को गुमराह करते रहते है लेकिन वह ये नहीं जानते की झूठा साक्ष्य देना भी अपराध होता है, जानिए :-

भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 227 की परिभाषा

जो कोई शपथ या कानूनी घोषणा के तहत असत्य बयान देता है, जिसे वह जानता है कि वह असत्य है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी होगा।"
उदाहरण के लिए:- 
- यदि कोई व्यक्ति अदालत में शपथ लेकर झूठा बयान देता है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी होगा।
- यदि कोई व्यक्ति पुलिस को झूठा बयान देता है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी होगा।
- यदि कोई व्यक्ति कानूनी दस्तावेज में झूठा बयान देता है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी I 

अपवाद:- 
- यदि कोई व्यक्ति शपथ या कानूनी घोषणा के तहत असत्य बयान देता है, लेकिन वह इस बात से अनजान है कि वह असत्य है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी नहीं होगा।
- यदि कोई व्यक्ति शपथ या कानूनी घोषणा के तहत असत्य बयान देता है, लेकिन वह इस बात से विश्वास करता है कि वह सत्य है, तो वह मिथ्या साक्ष्य देने का अपराधी नहीं होगा।

मिथ्या साक्ष्य देना निम्न स्थितियों में अपराध होता है:

1. अदालत में शपथ लेकर झूठा बयान देना।
2. पुलिस को झूठा बयान देना।
3. कानूनी दस्तावेज में झूठा बयान देना।
4. न्यायिक प्रक्रिया में झूठा बयान देना।
5. सरकारी अधिकारी को झूठा बयान देना।
6. कानूनी अनुसंधान में झूठा बयान देना।
7. शपथ पत्र में झूठा बयान देना।
8. कानूनी घोषणा पत्र में झूठा बयान देना।
9. अदालती कार्यवाही में झूठा बयान देना।
10. विधिक प्रक्रिया में झूठा बयान देना.

पुलिस को झूठा बयान देना निम्न स्थितियों में अपराध होता है:-

1. शपथ के तहत झूठा बयान देना: यदि आप पुलिस के समक्ष शपथ लेकर झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध हो सकता है।
2. कानूनी अनुसंधान में झूठा बयान देना: यदि आप पुलिस को किसी अपराध की जांच के दौरान झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध हो सकता है।
3. अपराध की जांच में झूठा बयान देना: यदि आप पुलिस को अपराध की जांच के दौरान झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध हो सकता है।
4. झूठी शिकायत दर्ज करना: यदि आप पुलिस में झूठी शिकायत दर्ज करते हैं, तो यह अपराध हो सकता है।
5. गवाही में झूठा बयान देना: यदि आप पुलिस के समक्ष गवाही देते समय झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध हो सकता है।

पुलिस को झूठा बयान देना निम्न स्थितियों में अपराध नहीं होता है :-

1. अनजाने में झूठा बयान देना: यदि आप अनजाने में पुलिस को झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध नहीं है।
2. भय या दबाव में झूठा बयान देना: यदि आप भय या दबाव में पुलिस को झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध नहीं है।
3. मानसिक अस्थिरता में झूठा बयान देना: यदि आप मानसिक अस्थिरता में पुलिस को झूठा बयान देते हैं, तो यह अपराध नहीं है।
4. बचाव में झूठा बयान देना: यदि आप अपने बचाव में पुलिस को झूठा बयान देते हैं, लेकिन आपका उद्देश्य अपराध छिपाना नहीं है, तो यह अपराध नहीं है।
5. गैर-आयोगिक बयान: यदि आप पुलिस को गैर-आयोगिक बयान देते हैं, जैसे कि अपनी राय या अनुमान, तो यह अपराध नहीं है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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