अतिथि शिक्षकों को अनुभव के आधार पर आरक्षण का प्रावधान दोषपूर्ण - Khula Khat

अनुभव के आधार पर आरक्षण का प्रावधान दोषपूर्ण है। मध्य प्रदेश ही एक ऐसा अकेला राज्य है जहां पर अनुभव के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अपनाई गई है, जबकि प्रदेश के अन्य विभागों तथा अन्य राज्यों की चयन प्रक्रिया में अनुभव के आधार पर वरीयता के अंक दिए जाने का प्रावधान किया गया है, क्योंकि आरक्षण कोई वरीयता नहीं वरन् एक निर्धारित प्रतिनिधित्व है। अतः शिक्षक भर्ती अतिथि शिक्षकों के लिए अनुभव के आधार पर आरक्षण का प्रावधान न केवल दोषपूर्ण है अपितु वरदान कम और अभिशाप ज्यादा सिद्ध हुआ है। 

अतिथि शिक्षकों के भविष्य को प्रशासनिक अधिकारियों ने चौपट कर दिया

मध्यप्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग में विगत 16 वर्षों के एक लंबे अरसे से अपने जीवन का अमूल्य समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं उत्कृष्ट परिणाम दे रहे हैं कार्यरत अतिथि शिक्षक इस आशा में रहें हैं कि जब भी प्रदेश में नियमित शिक्षक भर्ती होगी उसमें कार्य अनुभव के वेटिज के रूप में बोनस अंक के रूप में प्रदान किए जाएंगे। इस संबंध में मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक एफ 1-54/2014/20-1 भोपाल दिनांक: 17-03-2015 कार्य अनुभव का लाभ के रूप में बोनस अंक प्रदान करने आदेश जारी किया गया था परन्तु लोक शिक्षण संचालनालय में अपर संचालक कामना आचार्य मैडम तथा वल्लभ भवन में उप सचिव ओएल मांडलोई सर जैसे अधिकारीगण, अतिथि शिक्षकों को अपना दुश्मन मानने वाले प्रशासनिक अधिकारी द्वारा मध्य प्रदेश राज पत्र स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल दिनांक 30 जुलाई 2018 शैक्षणिक संवर्ग के सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम 11 के उप नियम (7) (ख) चार में कार्य अनुभव के बोनस अंक प्रदान करने के स्थान पर 25% आरक्षण (कोटा)  का प्रावधान कर प्रदेश के अतिथि शिक्षकों का उनके हक एवं अधिकार से वंचित कर दिया गया है। 

इस प्रकार शिक्षक भर्ती में उन्हीं अतिथि शिक्षकों का चयन हुआ है जिनको आरक्षण की आवश्यकता ही नहीं थी और टापर्स से पदों को भरा गया। इस प्रकार आरक्षण वरदान कम और अभिशाप ज्यादा सिद्ध हुआ है। अभी भी वही प्रक्रिया नियमित शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण देकर अतिथि शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की तैयारी में हैं।

भारतीय मजदूर संघ मध्यप्रदेश के नेतृत्व में हुई अतिथि शिक्षकों की महापंचायत को भी झुठलाते हुए, अतिथि विद्वानो की भांति नियमित भर्ती में दिये जाने वाले बोनस अंकों को गायब कर, 50% आरक्षण के नाम पर मध्यप्रदेश के युवाओं के भविष्य में आग लगाने का कार्य करने जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के साथ ही अनेकों प्रदेशों में अनेकों विभागों में जब नियमित भर्ती होती है तब बोनस अंक का प्रावधान ही किया जाता है तो फिर मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षक भर्ती में बोनस अंक क्यों नहीं दिया जा रहा है ?  

हाईकोर्ट द्वारा 1996 से ही इसे उचित माना गया है, और शिक्षा विभाग में भी 1996 से 2011 तक यह लाभ मिलता आया परंतु यह दो महान अधिकारीगण आये और अतिथि शिक्षकों के भविष्य को चौपट करने में लगे हैं, और शासन के कानों कान खबर तक नहीं पड़ने दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश के वर्तमान माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा उनके उच्च शिक्षा विभाग के कार्यकाल में अतिथि विद्वावानो को बोनस अंक ही दिए गए हैं, तो फिर मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षक भर्ती में बोनस अंक प्रदान करने से वंचित क्यों किया जा रहा है ?

एक प्रदेश में दो प्रकार के कानून कैसे हो सकते हैं ?

अतः भारतीय मजदूर संघ से संबद्धता प्राप्त संगठन अतिथि शिक्षक संघ (रजि. नं. 7097)  मध्यप्रदेश शासन एवं प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि प्रमुख जायज मांगों पर गंभीरता एवं उदारतापूर्वक विचार करते हुए प्रदेश के अतिथि शिक्षकों के हक एवं अधिकार से वंचित नहीं किया जाए और महापंचायत की घोषणानुसार अतिथि शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करते हुए नियमित किया जाए। 
पत्र लेखक श्री अरुण गिरि गोस्वामी (9755748134), अतिथि शिक्षक संघ मध्यप्रदेश के प्रदेश महामंत्री हैं। 

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