जहां भारत सरकार एवं राज्य शासन द्वारा नियमित एवं संविदा कर्मचारियों के बीच समानता सुनिश्चित करने के उपाय अपनाये जा रहे हैं वही मध्य प्रदेश शासन का एक विभाग/कंपनी ऐसी भी है जिसने संविदा कर्मचारियों को संविदा अवधि पूर्ण होने से पूर्व ही संविदा अनुबंध समाप्त कर उन्हें हटाने के लिए एक्सटेंशन कम नोटिस जारी कर दिया है।
मध्य प्रदेश राज्य लोक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड का मामला
उल्लेखित है की शिवराज सरकार ने संविदा कर्मचारियों को राहत देते हुए दिनांक 22/07/2023 को राज्य शासन के विभिन्न विभागों, मंडलों में नियुक्त समस्त संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये थे, जिसको मध्य प्रदेश राज्य लोक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड द्वारा तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित कंपनी की तृतीय संचालक मंडल की बैठक में पूर्णतया अनुग्रहीत भी कर लिया गया था, किन्तु मध्य प्रदेश में मोहन सरकार के आते ही कंपनी द्वारा उक्त आदेश को दरकिनार करते हुए कंपनी में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों का संविदा अनुबंध समाप्त कर उन्हें एक माह का एक्सटेंशन कम नोटिस थमा दिया गया एवं यह प्रक्रिया कंपनी द्वारा पिछले तीन माह से बारम्बार दोहराई जा रही है। जिससे कंपनी में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को उनके भविष्य को लेकर चिंता एवं असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है एवं मानसिक रूप से शोषित हो रहे है।
कंपनी में वित्त विभाग से प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कर्मचारियों/ अधिकारियों के द्वारा यह भी अफवाह फैलाई जा रही है कि लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग एवं कंपनी दोनों मात्र दो वर्ष के कार्यकाल में ही चुपचाप अन्दर अन्दर बंद भी किये जा रहे हैं। ऐसे मे उनके द्वारा कंपनी की जल्दी जल्दी ऑडिट भी करवाई जा रही है। यह उल्लेखनीय है की पूरे देश में इस प्रकार का कार्य करने हेतु प्रथम विभाग एवं कंपनी का गठन मध्य प्रदेश शासन द्वारा ही किया गया, तत्पश्चात राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल लैंड एसेट मोनेटाइज कंपनी का गठन हुआ। कंपनी द्वारा राज्य शासन की अनुपयोगी एवं अतिक्रमित होती हुई परिसंपत्तियों का समुचित प्रबंधन एवं मौद्रिकरण किया जाकर राज्य शासन को 1000 करोड़ का लाभ भी पहुचाया जा चुका है।
कंपनी द्वारा लागू की गई जिला प्रोत्साहन योजना अतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक लगभग 150 करोड़ रूपए भी वितरित किये जाने है जिसमें से 25% वितरित किये भी जा चुके है, जिससे जिले की उन्नति हेतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जा चुका है।
ऐसे में कंपनी में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को क्या यूँहीअधर में छोड़ दिया जायेगा। इस तरह तो शायद मध्य प्रदेश शासन के किसी भी मंडल/ विभाग में संविदा कर्मचारी को कार्य कम होने के दृष्टिगत कभी भी निकाल दिया जायेगा। क्या राज्य शासन के मंडल या कंपनी बंद होने की दशा में संविदा कर्मचारियों को किसी विभाग या मंडल में विलय नहीं किया जायेगा।
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