विजय अग्रवाल ने 2 महीने पहले ड्राई फ्रूट्स का कारोबार शुरू किया था। नीचे दुकान, उसके ऊपर गोदाम और सबसे ऊपर परिवार के साथ रहते थे। पत्नी राधिका, बेटे को लेकर मुरैना गई थी। घर में 15 और 14 साल की दो बेटियां थी। अचानक नीचे से आग लग गई और ऊपर विजय अग्रवाल अपनी दोनों बेटियों के साथ जिंदा जल गए।
ड्राई फ्रूट्स के गोदाम के ऊपर रहते थे
कैलाशनगर में विजय उर्फ बंटी अग्रवाल की तीन मंजिला इमारत में ग्राउंड फ्लोर पर श्री हरि कृपा नाम से ड्राय फ्रूट्स की शॉप और सेकंड फ्लोर पर गोदाम है। तीसरे फ्लोर पर वे परिवार के साथ रहते थे। विजय की पत्नी राधिका, बेटे अंश के साथ मायके मुरैना गई हुई थीं। घर पर विजय, उनकी दो बेटियां अंशिका उर्फ मिनी (15) और यशिका उर्फ यीशू (14) ही थे। बुधवार रात तीनों खाना खाकर सो गए। देर रात मकान से लपटें उठती देखी गईं। घर में एक इमरजेंसी EXIT था, परंतु उसे अलमारी से बंद कर दिया था। नीचे के दो फ्लोर में आग लग रही थी, ड्राई फ्रूट्स के कारण आग भड़क रही थी, व्यापारी अपनी दोनों बेटियों के साथ सेकंड फ्लोर पर थे।
बेटियों की डेड बॉडी अलमारी के पीछे मिली
मकान से लपटें उठती देख आस-पड़ोस के लोगों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी। पुलिस और फायर ब्रिगेड ने स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन आग बहुत ज्यादा फैल चुकी थी। एसडीईआरएफ (स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रिस्पॉन्स फोर्स) और एयरफोर्स को भी मदद के लिए मौके पर बुलाया गया। एसडीईआरएफ की 13 सदस्यीय टीम ने दूसरे फ्लोर की दीवार को मशीन से तोड़ा। यहां से विजय को निकाला गया। बचाव टीम ने उन्हें सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दी लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। तीसरी मंजिल के दरवाजे को तोड़कर अलमारी को हटाया। यहां से दोनों बेटियों को निकाला गया। तीनों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी।
फायर ब्रिगेड काफी देर बाद आई
मौके पर एक के बाद एक फायर ब्रिगेड की 13 गाड़ियां आईं, तब जाकर गुरुवार सुबह 4.30 बजे तक आग पर काबू पाया जा सका। विजय ने 2 महीने पहले ही ड्राय फ्रूट्स का कारोबार शुरू किया था। पड़ोस में रहने वाले शैलू चौहान ने बताया कि आग बहुत भीषण थी। बेटियां और विजय अंदर से बाहर नहीं आ सके। एक अन्य पड़ोसी दिनेश सिंह राजावत का कहना है कि सूचना देने के काफी देर बाद फायर ब्रिगेड आई। जल्दी आ जाती तो शायद तीनों बच जाते।
जब तक रेस्क्यू किया तब तक सब की मौत हो चुकी थी
एसडीईआरएफ के प्लाटून कमांडर व प्रभारी गोविंद शर्मा ने बताया कि हमें रात 3 बजे आग की सूचना मिली थी। हम लोग मौके पर आए और दीवार तोड़कर विजय को बाहर निकाला। तीसरे माले पर दरवाजा था लेकिन अलमारी लगी होने से उसे भी तोड़ा गया। तीसरी मंजिल से दोनों बच्चियों को बाहर निकाला। एएसपी अखिलेश रैनवाल का कहना है कि तीनों को अस्पताल भेजा लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी।
एक बच्ची की सांस चल रही थी
उपायुक्त और नगर निगम ग्वालियर के अग्निशमन अधिकारी अतिबल सिंह यादव ने बताया कि आग काफी ज्यादा थी। गली छोटी होने के कारण पानी पहुंचाने में मशक्कत हुई। आग को आधे घंटे में काबू पा लिया गया था। तीनों लोगों को रेस्क्यू करके बाहर निकाला गया, जिनमें से दो मृत थे और एक बच्ची की सांस चल रही थी। बाद में उसने भी दम तोड़ दिया।
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