यदि अबकी बार 400 पार या 370 सीट भी आ जाती तो समीक्षा का तरीका बदल जाता लेकिन, अब बात बदल गई है। लोकसभा चुनाव 2024 मध्य प्रदेश में केवल लोकसभा का चुनाव नहीं था बल्कि नवनियुक्त मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की परीक्षा भी थी। खुलकर कहा जा रहा था कि यदि लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा, लेकिन नतीजे बताते हैं कि मध्य प्रदेश में मोदी मोहन की जोड़ी का जादू गांव गांव तक चला।
29 आउट ऑफ 29, रिकॉर्ड तोड़ डाला
मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव में हरा देने की हिम्मत किसी भाजपा नेता में नहीं थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 सीट जीतने का ऐलान किया था। चुनाव प्रचार से पहले यह मान लिया था कि छिंदवाड़ा और गुना में भाजपा नहीं जीत पाएगी। इस बार सिंधिया तो भाजपा के साथ ही हैं। चुनौती केवल छिंदवाड़ा में थी, लेकिन बात इतनी सरल नहीं है। यदि पूरे भारत में भाजपा की स्थिति देखें तो समझ में आएगा की चुनौती बहुत कड़ी थी। ऐसी स्थिति में जब भारतीय जनता पार्टी को 240 के आंकड़े तक पहुंचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। 29 आउट ऑफ 29, रिकॉर्ड ब्रेक आंकड़ा है। यह मध्य प्रदेश में पहली बार हुआ है।
मध्य प्रदेश में मोदी-मोहन की जोड़ी
यदि आप पूरे भारत में स्टेट वाइज चुनाव प्रचार की रणनीति को देखेंगे तो, एक बात समझ में आएगी। मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार की रणनीति पड़ोसी राज्यों से बिल्कुल अलग थी। यह चुनाव भले ही लोकसभा का था परंतु यहां पर प्रचार मध्य प्रदेश की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया। कहां पर मोदी को बुलाना है और कहां पर मोहन को जाना है। सब कुछ सोच समझ कर देगी आ गया। डॉक्टर मोहन यादव की डाउन टू अर्थ पॉलिटिकल प्रेक्टिस काफी काम आई। पब्लिक को शिवराज सिंह चौहान का रिप्लेसमेंट मिल गया और लोगों को उम्मीद है कि, अपना मोहन पिछले वाले की तरह झूठ नहीं बोलेगा।
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