मरा हुआ व्यक्ति भी बच्चे पैदा कर सकता है - AIIMS Bhopal की रिसर्च

कई बार कुछ प्रसंग ऐसे भी आते हैं, जब महसूस किया जाता है कि, मरने वाले व्यक्ति की कम से कम एक संतान तो होती। इतिहास में कुछ प्रसंग तो ऐसे हैं जब मरने वाले व्यक्ति की संतान नहीं होने के कारण पूरा साम्राज्य ही बदल गया। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) 1848 से 1856 तक लागू किया गया। इसके तहत यदि राजा की कोई संतान नहीं हो और उसकी मृत्यु हो जाए तो उसका राज्य कंपनी के अधीन चला जाता था। 1853 में रानी लक्ष्मीबाई के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं था परंतु आज एम्स भोपाल ने इसे खोज निकाला है। 

प्रोफेसर डाॅ. राघवेंद्र कुमार विदुआ की रिसर्च

भोपाल। एम्स भोपाल में हुए शोध में यह बात पता चली है कि मृत व्यक्ति के शरीर से अगर शुक्राणु (स्पर्म) निकाल लिया जाए तो वह साढ़े उन्नीस घंटों तक जीवित रह सकता है। इससे महिला गर्भवती हो सकती है और बच्चा पैदा हो सकता है। एम्स भोपाल के फोरेंसिक मेडिसिन और टाक्सिकोलाजी विभाग के प्रोफेसर डाॅ. राघवेंद्र कुमार विदुआ व उनकी टीम ने पोस्टमार्टम शुक्राणु पुनर्प्राप्ति पर अध्ययन किया है। इसमें 125 मृत व्यक्तियों के शरीर से शुक्राणु निकाला गया और उन्हें स्टोर किया गया। इसमें 47.22 प्रतिशत लोगों के शुक्राणु जिंदा पाए गए।

डाॅ. राघवेंद्र कुमार ने बताया कि मृत व्यक्तियों पर इस प्रकार का शोध देश में पहली बार एम्स भोपाल में किया गया है। इस शोध को ग्रीस के एथेंस में आयोजित 26वें त्रिवार्षिक इंटरनेशनल एकेडमी आफ लीगल मेडिसिन सम्मेलन में शामिल किया गया।

डाॅ. कुमार ने बताया कि यह शोध 2022 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से वित्त पोषण के साथ शुरू किया गया था, जिसमें विशेष रूप से 47.22 प्रतिशत मामलों में जीवित शुक्राणु प्राप्त किए गए, जो आइवीएफ प्रक्रियाओं में उपयोग किए जा सकते हैं। इस नई पद्धति के पेटेंट के लिए आइसीएमआर को आवेदन भेजा जा चुका है और शीघ्र ही पेटेंट मिलने की संभावना भी है। 

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