मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के 7 अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग में शामिल किया जाएगा। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। संघ लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अनुमोदन प्राप्त करने फाइल भेजी है। इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय द्वारा राज्य पुलिस सेवा के 4 अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा समग्र में शामिल करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।
लोकसभा चुनाव के कारण DPC नहीं हो पाई
सूत्रों का कहना है कि अब तक विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक कराने के लिए संघ लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव चला जाना चाहिए था, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण प्रक्रिया पिछड़ गई। मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा है, जिसे अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार के माध्यम से आयोग को भेज दिया जाएगा।7 पदों के लिए 2006 और 2007 बैच के 21 अधिकारियों के नाम उनके सेवा अभिलेखों के साथ प्रस्तावित किए जाएंगे। हालांकि, कम पद होने के कारण 2007 बैच के अधिकारियों को अवसर मिलने की संभावना कम है।
मध्य प्रदेश राज्य पुलिस के 4 अधिकारियों को IPS के लिए 12 नाम
राज्य पुलिस सेवा के 4 अधिकारियों को इस बार IPS संवर्ग मिल सकेगा। इसके लिए 12 अधिकारियों के नाम प्रस्तावित किए जाएंगे। पुलिस मुख्यालय ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे गृह विभाग के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग को भेजा जाएगा। इसी तरह राज्य वन सेवा के लिए एक साथ दो वर्ष के पदों पर विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक कराने की तैयारी है। इससे 24 अधिकारियों को IFS संवर्ग मिलेगा।
मध्य प्रदेश में अन्य अधिकारियों को भी IAS प्रमोट करने का प्रावधान
प्रदेश में वर्ष 2016 में अंतिम बार 4 गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को IAS संवर्ग में नियुक्ति का अवसर मिला था। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की समिति द्वारा साक्षात्कार लिया गया था, लेकिन इसके बाद से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता को आधार बनाकर गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अवसर नहीं दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश की शासकीय व्यवस्था में निर्धारित किया गया था कि सरकार चाहे तो उपलब्ध पदों में से 15 प्रतिशत तक पद गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दिए जा सकते हैं, लेकिन यह प्रावधान बाध्यकारी नहीं है।
2016 में फाइल बनी थी
इसका ही उपयोग करके सामान्य प्रशासन विभाग 2016 से गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का मौका नहीं दे रहा है। कमल नाथ के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल वाली प्रदेश सरकार में सामान्य प्रशासन मंत्री रहते डॉ. गोविंद सिंह ने इसकी फाइल आगे बढ़ाई थी। तत्कालीन मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती भी इससे सहमत थे, लेकिन अन्य अधिकारियों की असहमति के कारण अवसर नहीं मिला।
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