भारतवर्ष में सनातन धर्म का पालन करने वाले परिवारों की सौभाग्यवती स्त्रियां अखंड सौभाग्य की कामना से वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं। वट सावित्री का व्रत भारतीय कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष में अमावस्या वाले दिन किया जाता है। पाश्चात्य संस्कृति के कैलेंडर में यह दिन 6 जून 2024 को होगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और धृति योग भी होगा।
वट सावित्री व्रत के दिन ग्रह, तिथि और विशेष योग की जानकारी
इस दिन सूर्यपुत्र शनि की जयंती, रोहिणी नक्षत्र एवं धृति योग भी विद्यमान रहेगा। इस बार वट सावित्री व्रत पर ग्रहों की स्थिति भी शुभकारी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्रत के दिन बरगद व पीपल की पूजा करने से शनि, मंगल और राहु के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है। शनि ग्रह की शांति के लिए इसका बड़ा महत्व है।
यम के भय को दूर करता है वट वृक्ष
भारत के धार्मिक ग्रंथों, उपनिषाद व पौराणिक ग्रंथों में मृत्यु को भी चुनौती देने वाले वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद को अमूल्य बताया गया है। इसकी जड़, छाल, पता, दूध, छाया और हवा न सिर्फ मनुष्यों बल्कि पृथ्वी, प्रकृति एवं जीव- जंतुओं के लिए जीवन रक्षक माना गया है।
मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
ब्रह्मा-वैवर्तपुराण व स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री का व्रत एवं इसकी पूजा व परिक्रमा करने से सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की दीघार्यु, उत्तम स्वास्थ्य, वंश वृद्धि, दांपत्य जीवन में सुख शांति और वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यर्धक, पापहारक, दुख प्रणाशक और धन-धन्य प्रदान करने वाला होता है। इसमें ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं स्वयं सावित्री भी विराजमान रहती है।
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