भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं भिंड जिले के कलेक्टर श्री संजीव श्रीवास्तव पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखकर मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।
ट्राइबल डिपार्टमेंट की छात्रावासों में खरीदी का मामला
मध्य प्रदेश के भिंड जिला में अनुसूचित एवं जनजाति विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए प्रशासन द्वारा 80 लाख का बजट रजाई, गद्दे सहित अन्य सामाग्री खरीदी पर खर्च किया गया। साईं इंटरप्राइजेस नाम की फर्म को सामान की सप्लाई का ठेका दिया गया। उक्त फर्म पर खरीदी प्रक्रिया करने के लिए शासन द्वारा जारी नियमावली के अनुरुप जरूरी प्रमाण पत्र नहीं थे। अधिकारियों की सांठगांठ से हुए इस फर्जीवाड़े में कूटरचित दस्तावेज लगाते हुए संबंधित फर्म को टेण्डर देने की प्रक्रिया हुई है, जिसमें शासन के नियमों की सीधे तौर पर अनदेखी की गई है।
कलेक्टर की निष्पक्षता पर सवाल क्यों उठे
इस खरीदी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव व विभाग के संयोजक और महिला बाल विकास अधिकारी संजय जैन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होने कहा कि कलेक्टर ने नियम विरुद्ध इस सामान की खरीद के लिए डिप्टी कलेक्टर अखिलेश शर्मा से अनुसूचित एवं जनजाति विभाग के जिला संयोजक का प्रभार हटाकर महिला बाल विकास अधिकारी संजय जैन को प्रभार सौंप दिया। उसके बाद 80 लाख के बजट से सामान की खरीद कराई गई। उन्होंने कहा कि अफसरों ने सामान की खरीद प्रक्रिया में प्रशासनिक अधिकारी इतने मुस्तैद दिखे कि आनन फानन में खरीदी प्रक्रिया पूरी करने के बाद देर रात 12 बजे साई इंटरप्राइजेस फर्म को इसका भुगतान भी कर दिया गया।
700 रुपए की रजाई 2500 और 500 का गद्दा 1500 में खरीदा
ज्ञात हो कि अनुसूचित एवं जनजाति विभाग में हुई इस खरीदी प्रक्रिया में सप्लाई किया गया सामान बाजार कीमत से तीन से चार गुना अधिक भाव पर खरीदा गया है। जिसमें 700 रुपए की रजाई 2500 और 500 का गद्दा 1500 रुपए में खरीदा गया। इस सामान की गुणवत्ता का न तो भौतिक सत्यापन हुआ और न ही क्वालिटी की किसी तरह की जांच हुई। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह ने कहा कि इस विभाग में सामान की खरीदी प्रक्रिया में अनुसूचित जाति एवं जनजातीय वर्ग के जनप्रतिनिधि को शामिल करने का नियम है, लेकिन इसमें इसकी अनदेखी की गई।
चार माह पूर्व हुई खरीद में इस वर्ग के जनप्रतिनिधि गोहद विधायक को शामिल किया गया था, लेकिन 80 लाख की इस खरीद में ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के गरीब और शोषित बच्चों का हक मारने के इस मामले की शिकायत गोहद विधायक केशव देसाई और पूर्व विधायक रणवीर जाटव ने की, लेकिन कलेक्टर ने उनकी शिकायतों की जांच और कार्रवाई करने में लापरवाही की गई।
गर्मी के सीजन में रजाई खरीदी
छात्रावास में सामग्री सप्लाई के नाम पर हुए इस भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ सिंह ने कहा कि क्या जिले में पदस्थ्य कलेक्टर 48 डिग्री के टेम्परेचर में रजाई ओढ़ कर सोते हैं? अगर नहीं, तो उन्होंने इस भीषण गर्मी में बड़ी संख्या में रजाई व गद्दों की खरीद क्यों कराई। उन्होंने कहा कि छुट्टियों के दौरान बंद छात्रावासों में बिना किसी मांग के ऐसी भीषण गर्मी में रजाई, गद्दे, तकिए जैसे अनुपयोगी सामान की खरीद करना ही इस पर सवालिया निशान लगाता है।
ना डीलर ना सप्लायर, फिर भी 80 लाख की खरीदी
उल्लेखनीय है कि छात्रावास में सामान सप्लाई करने वाली साईं इंटरप्राइजेस फर्म इसके प्रक्रिया के लिए तय मानकों में कही भी खरी नहीं उतर रही है। फर्म पर जीएमपी सर्टिफिकेट नहीं है तो वहीं जेम पोर्टल पर उल्लेखित शर्तो को यह फर्म पूरा नहीं करती है। उक्त फर्म न तो सप्लाई की गई सामग्री का निर्माण करती है और न ही डीलर है फिर भी इन नियमों की अनदेखी कर उसे सप्लाई का टेण्डर दिया गया। आमतौर पर किसी भी फर्म से शासन स्तर पर होने वाली खरीदी प्रकिया से पूर्व मानकों की जांच की जाती है लेकिन अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना 80 लाख के भ्रष्टाचार में उनकी मिलीभगत को उजागर करता है।
मुख्य सचिव को लिखा पत्र
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने जिला स्तर पर अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी करने और बोगस फर्म को लाखों रुपए का टेण्डर देने के मामले में प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और विभाग के प्रभारी संयोजक संजय जैन की मिलीभगत के आरोप लगाते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
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