MP NEWS - खंडवा में अनाथ बच्चों से रिश्वत मांग रहे हैं अधिकारी गिरफ्तार, शर्म करो सरकार

यह सरकार के लिए शर्मसार कर देने वाला समाचार है। कोरोनावायरस के संक्रमण से मरने वाले नागरिकों के अनाथ बच्चों को सरकार द्वारा पढ़ाई लिखाई के लिए मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाती है। नोडल एजेंसी महिला एवं बाल विकास विभाग है। डिपार्टमेंट के अधिकारी, अनाथ बच्चों से रिश्वत ले रहे हैं। लोकायुक्त पुलिस इंदौर की टीम ने खंडवा में एक ऑपरेशन के दौरान रिश्वत लेते हुए डाटा एंट्री ऑपरेटर और एक सामाजिक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है। यदि दोनों में से किसी एक ने भी बयान दिया तो उस अधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज होगा, जिसके लिए रिश्वत की वसूली की जा रही थी। 

स्कूल फीस के 56000 में से 36000 रुपए रिश्वत मांग रहे थे

लोकायुक्त पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 वर्ष के युवक अमन राठौर (पुत्र स्वर्गीय संतोष राठौर) ने शिकायत की थी कि, उसने एवं उसकी बहन ने महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय खंडवा में अगस्त 2023 में मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत आवेदन किया था। इस योजना के तहत उन अनाथ बच्चों की मदद की जाती है, जिनके माता-पिता की मृत्यु कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण हुई थी। पिता की मृत्यु कोरोनावायरस संक्रमण से हो जाने के कारण उसका आवेदन स्वीकार कर दिया गया था। इसके तहत ₹4000 प्रति महीना शिक्षा सहायता मिलती थी। योजना के तहत टोटल 7 महीने का 56000 उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए लेकिन महिला बाल विकास विभाग के डाटा एंट्री ऑपरेटर संजय जगताप एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनोज दिवाकर द्वारा ₹36000 की मांग की गई। उनका कहना था कि यदि रिश्वत की रकम नहीं दी गई तो भविष्य में योजना के तहत लाभ नहीं मिलेगा। 

लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर निर्धारित विधि के अनुसार शिकायत का सत्यापन करवाया गया। इसमें रिश्वत की मांग किया जाना पाया गया। ऑडियो एविडेंस कलेक्ट किए गए और उसके बाद एसपी लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया। प्लानिंग के तहत बालक को केमिकल युक्त नोट दिए गए। शुक्रवार को महिला बाल विकास विभाग खंडवा कार्यालय में शिकायतकर्ता बालक द्वारा जैसे ही 36000 रुपए प्रदान किया मौके पर सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त पुलिस ने मनोज दिवाकर एवं संजय जगताप को पकड़ लिया। केमिकल टेस्ट पॉजीटिव पाए जाने के बाद दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 

शर्म करो सरकार 

यह एक दुर्लभ मामला है जब 17 साल का एक अनाथ बच्चा लोकायुक्त पुलिस तक पहुंचा और एक्शन भी हुआ। हम सब जानते हैं कि इस उम्र के बच्चे कानूनी प्रक्रिया नहीं समझते। उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी भी नहीं होती, और इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता की महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की रिश्वतखोरी की जा रही होगी। यदि सरकार इस प्रकार की रिश्वत को रोकने का कोई सिस्टम नहीं बन पाई तो यह सरकार के लिए शर्मनाक है।

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