BHOPAL NEWS - गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस

हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए अस्पताल लाने एवं घर छोड़ने की सुविधा 108 एंबुलेंस के माध्यम से दी जाएगी। यह सुविधा एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत नि:शुल्क दी जाएगी। गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को इन शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।अभियान में गर्भावस्था की दूसरी एवं तीसरी तिमाही की महिलाओं की जांच कर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का चिन्हांकन किया जाता है। अभियान के तहत 25 अप्रैल को स्वास्थ्य संस्थाओं में स्वास्थ्य परामर्श एवं जांच शिविरों का आयोजन किया जाएगा।जागरूकता एवं जांच शिविरों में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की जानकारी भी दी जाएगी। 

महीने में 2 दिन चेकअप किया जाता है

एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में उच्च जोखिम के लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं की जांच, परामर्श, उपचार, पैथोलॉजी जांच, सोनोग्राफी जांच की जाती है। प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को यह अभियान आयोजित किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता जैसे आशा, एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं को परामर्श एवं जांच के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में लाया जाता है। जहां पर चिकित्सकों द्वारा महिलाओं में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की पहचान कर सलाह एवं दवाइयां दी जाती हैं। 

भोपाल के इतने अस्पतालों के लिए फ्री पिक एंड ड्रॉप सुविधा

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि यह अभियान नवंबर 2016 से प्रारंभ किया गया था। गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 108 एंबुलेंस की सुविधा शुरू की गई है। इस सुविधा के तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जयप्रकाश जिला चिकित्सालय, डॉ. कैलाशनाथ काटजू महिला चिकित्सालय , सिविल अस्पताल बैरागढ़, इंदिरा गांधी गैस राहत हॉस्पिटल, जवाहरलाल नेहरू गैस राहत हॉस्पिटल, सुल्तानिया अस्पताल, सिविल अस्पताल बैरसिया, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गांधीनगर एवं कोलार में आयोजित शिविरों में जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं का पिकअप एंड ड्रॉपबैक नि:शुल्क किया जाएगा।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं स्क्रीनिंग 

इसके पूर्व गर्भवती महिलाओं और प्रसवोत्तर महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता को देखते हुए इन शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं स्क्रीनिंग की शुरुआत भी की गई थी। जिसमें मानसिक समस्याओं के लिए गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिजनों को लक्षणों की पहचान एवं उसके उपचार के संबंध में परामर्श दिया जा रहा है। महिलाओं में समस्या पाए जाने पर उन्हें दवाएं और मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान किया जा रहा है। अभियान के तहत अस्पतालों में क्यूआर कोड भी लगाए गए हैं, जिनको स्कैन करके गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की जानकारी ली जा सकती है। 

हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या होती है

गर्भावस्था में एनीमिया, गर्भावस्था जनित उच्च रक्तचाप,गर्भावस्था जनित डायबिटिज़, पूर्व में ऑपरेशन द्वारा प्रसव इत्यादि लक्षण होने पर हाई रिस्क प्रेगनेंसी के रूप में चिन्हित किया जाता है। इन महिलाओं को विशेष चिकित्सकीय देखभाल एवं परामर्श की सेवाए प्रदान की जाती है। शिविर में विशेषज्ञीय चिकित्सकीय परामर्श के साथ हीमोग्लोबिन, यूरिन एल्ब्युमिन, शुगर, मलेरिया, टीबी, हेपेटाईटिस, ओरल ग्लूकोज़ टेस्ट, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस की जांच की जाती है। चिकित्सकीय परामर्श अनुसार सोनोग्राफी एवं थायराईड की जांच भी की जाती है। 
मातृ मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए, उच्च जोखिम की गर्भवती महिलाओं का सही समय पर चिन्हांकन किया जाना बेहद आवश्यक है। जिससे इन गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके। हाईरिस्क महिलाओं की न्यूनतम 4 जांचों के साथ 3 अतिरिक्त जांचे भी की जाती हैं। जिनमें से न्यूनतम एक जांच  स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। 

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