श्री कीरत कुशवाहा ने बताया कि, हम सभी स्पेशल एजुकेटर है अर्थात दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले विशेष शिक्षक हैं। जिस तरीके से प्रदेश में सरकारी स्कूलों में से कंप्यूटर शिक्षकों निकाला गया है। उसी तरीके से हम लोगो को भी निकाला गया है। विषय ये है कि हम सभी 471 स्पेशल एजुकेटर को समग्र शिक्षा के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए 10 माह के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया था परंतु हमे 9 माह में 31 मार्च 2024 को ही बाहर करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
स्पेशल एजुकेटर की समस्या:
1. 10 माह के लिए रखा और 9 माह में बाहर किया।
2. भारत सरकार एवम माननीय उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक अर्थात स्पेशल एजुकेटर परमानेंट बेस पर रखने के आदेश दिए हैं लेकिन मध्य प्रदेश में अस्थाई नियुक्ति की जा रही है और मात्र ₹9000 वेतन दिया गया।
इससे महोदय प्रदेश के दिव्यांग बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। स्पेशल एजुकेटर के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। एक तरफ सरकार दिव्यांगों के हित की बात करती है और दूसरी तरफ दिव्यांगो की शिक्षा का मजाक बना दिया है। जबकि नई शिक्षा नीति 2020 और दिव्यांग अधीनयम 2016 में दिव्यांग शिक्षा पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया। मध्य प्रदेश के अलावा अन्य राज्य इसका अच्छे से अनुपालन कर रहे हैं।