फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। यह पूरा समय होली के उत्सव का होता है। इस दौरान सभी शुभ कार्य, विवाह इत्यादि करना मना हैं। होलिका दहन के लिए भद्रा विचार भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह केवल सामूहिक रूप से अग्नि प्रज्वलित करने का पर्व नहीं है बल्कि होली की अग्नि में आपके जीवन, परिवार, घर, आसपास और समाज में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों को स्वाहा कर देने का अवसर है। इसलिए मुहूर्त महत्वपूर्ण है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त एवं भद्रा विचार - HOLIKA DAHAN KA SHUBH MUHURT and BHADRA
होलिका दहन का मुहूर्त सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। भद्रा मुख में होलिका दहन किसी भी कीमत पर नहीं हो सकता है। भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि ही सबसे शुभ मुहूर्त होती है। भद्रा में होलिका दहन नहीं करते हैं। भद्रा समाप्ति पर ही होलिका दहन करना चाहिए। दिनांक 24 मार्च 2024 को रात्रि 11:13 बजे तक भद्राकाल रहेगा। भद्र समाप्ति के बाद रात्रि में 11:14 बजे 12:27 बजे तक होलिका दहन के लिए टोटल एक घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।
दिनांक 24 मार्च 2024 को होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:34 बजे से अगले दिन सुबह 6:19 बजे तक है। वहीं, रवि योग सुबह 6:20 बजे से सुबह 7:34 बजे तक है। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ सुबह 9:54 बजे होगा। इस प्रकार रवि योग के गुजर जाने के बाद पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ होगा और सर्वार्थ सिद्धि योग दूसरे दिन सूर्योदय के पूर्व तक रहेगा।
होलिका दहन की विधि - HOLIKA DAHAN KI VIDHI
सबसे पहले माता होलिका की विधिवत तथा शास्त्रवत पूजा होती है। भक्त प्रहलाद की कथा होती है। सम्मत में शुद्ध हवन सामग्री भी डाली जाती है। कपूर तथा चंदन की कुछ लकड़ी भी होती है। सब लोग फिर सामूहिक भक्ति गीत गाकर होलिका माता को प्रसन्न करते हैं। इस दिन अपनी किसी एक न एक बुराई को दहन अर्थात समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर सामूहिक फाल्गुन गीत होता है। अबीर तथा गुलाल लगा के एक दूसरे से गले मिलते हैं।
होली पूजा के लिए सामग्री - HOLI POOJA LIST
गोबर के बिड़कले (पूजा के बाद होली में डालने के लिए), गोबर, एक लोटा पानी या गंगाजल, फूलों की मालाएं, कच्चा सूत, पंचोपचार (पांच प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां), रोली, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान या मिठाइयां और फल.
होलिका दहन पूजा-विधि - HOLI DAHAN POOJA VIDHI
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें.
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदे छिड़कें।
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी रखें।
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांचों अनाज चढ़ाएं।
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
12. गोबर के बिड़कले को होली में डालें।
13. आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं।
होलिका दहन के चमत्कारी उपाय - HOLI DAHAN CHAMATKARI UPAY
होलिका दहन की रात्रि में श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए। संकट से परेशान लोग रात्रि के समय सुंदरकांड का पाठ करें। होलिका दहन की रात्रि में कई तांत्रिक सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती हैं बंगलामुखी अनुष्ठान भी किया जा सकता है। शनि की साढ़ेसाती से या शनि की महादशा से प्रभावित जन शनि के बीज मंत्र का जप करें तथा हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। अपने वजन के बराबर अन्न दान करें। गरीब जनों में वस्त्र तथा भोजन बाटें। निर्धन जन के बच्चों में खिलौने तथा अबीर गुलाल बांटने से कभी धन की कमी नहीं आती तथा अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
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