Legal general knowledge and law study notes
राजू पांडुरंग महाले बनाम महाराष्ट्र मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि स्त्री की लज्जा एक आभूषण होती है। उनका समाज मे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति बुरे इरादे से किसी महिला की साड़ी में हाथ भी लगता है तो उसे दण्डित किया जाना अति-आवश्यक होगा। यहां क्लिक करके आईपीसी की धारा 354 अथवा बीएनएस की धारा 73 के बारे में अधिक जानकारी पढ़ सकते हैं।
Indian Penal Code, 1860 Section 354 and Indian Justice Code, 2023 Section 73 - punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, यह अपराध उच्च न्यायालय की अनुमति से समझोता योग्य होते है। इस अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ राज्य में क्या प्रावधान है दण्ड के जानिए
1. मध्यप्रदेश:- यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते है उनकी सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा की जाती है। सजा अधिकतम दस वर्ष की कारावास और जुर्माना [राज्य संशोधन अधिनियम 2004]।
2.छत्तीसगढ:- यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते है उनकी सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। सजा अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना [राज्य संशोधन अधिनियम 2013 प्रकाशित वर्ष 21-07- 2015]।
महत्वपूर्ण निर्णय:-
▪︎ पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राईटस बनाम पुलिस कमिश्नर दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि अगर किसी निकाय या किसी फैक्ट्री, कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं के साथ अधिकारी या कर्मचारियों द्वारा स्त्री की लज्जा भंग का अपराध किया जाता है तो अधिकारियों के वेतन द्वारा महिलाओं को क्षति पूर्ति दी जाएगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com