दहेज हत्या के मामले को यदि पुलिस ने हत्या के मामले में दर्ज किया तो क्या आरोपी दंडित हो पाएगा

0
अगर किसी महिला की मृत्यु शादी के सात साल के भीतर सुसराल में अप्राकृतिक कारण से होती है तो इसे दहेज हत्या अपराध कहा जा सकता है और इसके लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304ख में दण्ड का प्रावधान दिया गया है।

अब सवाल यह है कि किसी महिला की हत्या पति द्वारा पीटने के कारण हो जाती है और उस पर हत्या के अपराध IPC 303, 300 का मुकदमा चलता है लेकिन अपराध सबित नहीं होता है तब क्या न्यायालय आरोपी पति को बिना 304ख, मे एफआईआर के दहेज मृत्यु कर अपराध से दण्डित करने की शक्ति रखता है जानिए महत्वपूर्ण जानकारी:-

शमनसाहेब एम. मुट्टानी बनाम कर्नाटक राज्य मामला

घटना का विवरण:- एक बीस वर्षीय नवविवाहिता महिला को उसके पति एवं ससुराल वालों ने उसका मुँह बांधकर उसे फुटबाल की तरह लातों-घूंसा से मारकर उसकी हत्या कर दी। मृत महिला के पति, ससुर एवं देवर के विरुद्ध IPC की धारा 302 के अंतर्गत हत्या का आरोप लगाया गया लेकिन संदेह एवं पक्ष द्रोही गवाह होने के कारण साक्ष्यों के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। 

इस पर राज्य उच्च न्यायालय में अपील की जाने पर न्यायालय ने आरोपियों का अपराध IPC की धारा 300, 302 हत्या अपराध की बजाय IPC की धारा 304ख (दहेज हत्या, एवं धारा 498क (महिला के प्रति क्रूरता) में परिवर्तन करते हुए पति को आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित किया एवं पति के नातेदारों को दोषमुक्त कर दिया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय था जानिए:-

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि क्या हत्या के अपराध के आरोपी व्यक्ति को वैकल्पिक तोर पर दहेज मृत्यु के अपराध के लिए दण्डित किया जा सकता है, भले ही उसे IPC की धारा 304ख के लिए आरोपित न किया गया हो?

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हाइकोर्ट द्वारा आरोपी को हत्या के अपराध की बजह दहेज हत्या के अधीन दोषसिद्ध किया जाना न्यायोचित था, लेकिन ऐसा करने से पहले आरोपी को नोटिस देकर दहेज हत्या के अपराध के विरुद्ध बचाव का अवसर दिया जाना आवश्यक था।

अतः न्यायालय ने निर्देशित किया कि विचारण न्यायालय को आरोपी के विरुद्ध धारा 304ख के अपराध का पुनः विचारण करे एवं आरोपी को सूचित किया कि वह दहेज हत्या के अपराध की उपधारणा को असाबित न कर सका तो उसे दहेज हत्या के अपराध कर अंतर्गत दण्डित किया जा सकेगा।

कुलमिलाकर निर्णय का सार यह है कि, पुलिस एफआईआर में हत्या के अपराध की धारा दर्ज हुई है लेकिन दहेज हत्या के अपराध की धारा दर्ज नहीं है तब भी न्यायालय आरोपी को हत्या का अपराध साबित न होने पर दहेज हत्या के अपराध से दण्डित कर सकता है लेकिन इससे पहले आरोपी बचाव के लिए सूचना देना अति आवश्यक है।लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Legal पर क्लिक करें।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!