MP karmchari news - अतिथि विद्वान एक बार फिर उच्च शिक्षा विभाग के फरमान से नाराज

मध्य प्रदेश शासन द्वारा संचालित महाविद्यालयों में होने वाली सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा विवादों में घिरती नज़र आ रही है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश का जिस प्रकार से पालन किया जा रहा है, अतिथि विद्वानों के संगठन ने इस अन्याय और प्रताड़ित करने वाली कार्रवाई बताया है।

सिर्फ याचिकर्ता को फॉम भरने के लिए लिंक ओपन

हाल में में माननीय उच्चतम न्यायालय का एक आदेश के कारण खलबली मच गई। पीएससी की निर्धारित आयु सीमा को हजारों अतिथि विद्वान पार कर चुके हैं जो इस भर्ती में नही बैठ पाएंगे जिसके कारण अतिथि विद्वानों ने न्यायालय की शरण ली। जिस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलील को जायज मानते हुए फॉम भरने के लिए विभाग उच्च शिक्षा को नोटिस जारी किया। जिस पर आनन फानन में आयोग ने सिर्फ याचिकर्ता को फॉम भरने के लिए लिंक ओपन की। अब बड़ा सवाल ये है की जो हजारों अतिथि विद्वान है उनका क्या होगा? क्या वो भी न्यायालय जाएं। 

न्यायालय का सम्मान करते हुए सभी के लिए खुले लिंक: महासंघ

अतिथि विद्वान महासंघ ने सरकार/विभाग/आयोग के इस फैसले पर आश्चर्य जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी। संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने पूछा की क्या जो न्यायालय नहीं जायेंगे क्या उनको न्याय नहीं मिलेगा। क्या माननीय न्यायालय के आदेश का कोई सम्मान नहीं। डॉ आशीष पांडेय ने सरकार/आयोग/उच्च शिक्षा विभाग से निवेदन किया है कि सबके लिए लिंक खुले जिससे माननीय न्यायलाय का सम्मान बरकरार रहे एवं उम्रदराज अतिथि विद्वानों को न्याय मिल सके।

डॉ देवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष,अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि, आखिर इतनी हड़बड़ी जल्दबाजी क्या है पीएससी की। अगर सरकार गंभीर है तो जो भाजपा सरकार द्वारा अतिथि विद्वान महापंचायत बुलाई गई थी घोषणा हुई थी उसको पूरा करें। 50 हज़ार फिक्स वेतन एवं रिटायरमेंट उम्र तक अतिथि विद्वानों को सेवा में रखने का।पीएससी भर्ती से क्या होगा। दूसरे राज्यों को नौकरी और प्रदेश के मूल निवासी अतिथि विद्वानों को बेरोजगार ये कहा का न्याय है? 

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