50 साल बाद भारतीय रेल हड़ताल, 28 लाख केंद्रीय कर्मचारी, 3 करोड़ राज्य शासन कर्मचारी - HINDI NEWS

Government employees strike for old pension scheme

स्वतंत्र भारत के इतिहास में दूसरी बार, सन 1974 के बाद सन 2024 में भारतीय रेल हड़ताल का ऐलान कर दिया गया है। यह हड़ताल देशव्यापी और अनिश्चितकालीन घोषित की गई है। इस हड़ताल में 28 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा भारत के विभिन्न राज्य सरकारों के 3 करोड़ शासकीय कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों एवं ट्रेड यूनियनों के अनुसार यह हड़ताल दिनांक 1 MAY 2024 से प्रारंभ होगी। हड़ताल का सिंगल लाइन एजेंडा पुरानी पेंशन योजना है। 

ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम का फैसला

दिल्ली के कुछ समाचार पत्रों एवं अन्य समाचार माध्यमों के अनुसार, ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (JFROPS) की दिल्ली बैठक में यह निर्णय लिया गया है। ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि 19 मार्च को संबंधित प्रशासनों को हड़ताल को लेकर नोटिस दिया जाएगा। जेएफआरओपीएस के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्र के साथ चर्चा विफल होने के बाद हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया।

ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए सवा 3 करोड़ कर्मचारियों द्वारा हड़ताल का ऐलान

महासचिव शिव गोपाल मिश्रा, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली संयुक्त सलाहकार मशीनरी (जेसीएम) के सचिव (कर्मचारी पक्ष) भी हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने ओपीएस यानी ओल्ड पेशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए। हमने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर ओपीएस बहाल करने का आग्रह किया। हम इस मुद्दे को जेसीएम की बैठकों में भी उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को नजरअंदाज कर दिया और अब हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, अनिश्चितकालीन हड़ताल के आह्वान से पहले रेलवे, विभिन्न विभागों और केंद्र के अधीन सार्वजनिक उपक्रमों के विभाग में हड़ताल के लिए मतदान हुआ और यूनियनों का दावा है कि उन्हें कर्मचारियों का करीब 100 फीसदी समर्थन मिला है। वहीं अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, ‘सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के कामकाज में बाधा डाले बिना विरोध कार्यक्रम आयोजित करके 20 सालों तक धैर्यपूर्वक इंतजार किया है। सभी सरकारें हमारी मांग को नजरअंदाज कर रही हैं और निराशाजनक राष्ट्रीय पेंशन योजना को जारी रख रही हैं। हाल ही में न्यायिक वेतन आयोग ने न्यायाधीशों के लिए परिभाषित और गारंटीशुदा पेंशन की सिफारिश की है। फिर सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों किया जाता है?। 


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