BNS 25, IPC 87 - महिला से बलात्कार करने वाले व्यक्ति को कब दोषमुक्त किया जा सकता है, जानिए

Legal general knowledge and law study notes 

उद्देश्य अपराध का नहीं और कोई अपराध हो जाएं तो दण्ड विधान के साधारण अपवाद में यह क्षमा योग्य होगा। आज के लेख में हम एक सवाल का उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं कि कोई व्यक्ति स्वंय की इच्छा से किसी व्यक्ति को ऐसी स्वीकृति दे सकता है कि वह उसे गंभीर चोट पहुचाए या उसकी मृत्यु कर दे ये स्वीकृति वैध हैं या अवैध जानते हैं आज।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 25, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 87 की परिभाषा 

दो वयस्क व्यक्ति द्वारा बिना आपराधिक उद्देश्य से आपस में ऐसे कार्य करने की स्वीकृति की जाए जिसमे एक- दूसरे को कोई गंभीर क्षति न हो, एवं न ही उस कार्य में मृत्यु करने का कोई आशय हो। ऐसी स्वीकृति के बाद अगर उनमें से किसी व्यक्ति के कारण कोई गम्भीर अपराध सावधानीपूर्वक कार्य करते हुए हो जाए, तब उस व्यक्ति को IPC की धारा-87 एवं BNS की धारा 25 के अंतर्गत बचाव मिल सकता है।

नोट:- प्रायः कुश्ती, मुक्केबाजी, बॉक्सिंग, मल्लयुद्ध आदि जैसे खेलों तथा जोखिमों भरे व्यायामों आदि के दौरान शरीरिक क्षति के लिए IPC की धारा 87 एवं BNS की धारा 25 के अंतर्गत बचाव लिया जाता है।

The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 25, Indian Penal Code, 1860 section 87 Punishment 

हरपाल सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि ज्यादातर यौन-अपराधों के मामलों में पीड़िता की स्वीकृति आरोपी के लिए एक बचाव सिद्ध होता हैं, एवं इसी स्वीकृति के आधार पर न्यायालय से आरोपी को धारा-87 के अंर्तगत दोषमुक्त कर दिया जाता है। लेकिन कोई स्त्री जो अठारह वर्ष से कम आयु की है, तब उसकी सहमति का कोई मतलब नहीं होता है, आरोपी को अपराध (दोष) से मुक्त होने का। उसे उसी धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा जो उसने अपराध किया है। 

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