मध्य प्रदेश में स्कूल बसों की फिटनेस एक बड़ी समस्या है। ऐसे यात्री वाहन जो कंडम हो जाते हैं, उन्हें कलर करके स्कूल बस के रूप में उपयोग किया जाता है। जबलपुर में एक प्राइवेट स्कूल की चलती बस में आग लग गई। बस में 37 स्टूडेंट और टीचर्स बैठे हुए थे। बताया गया कि बस में शॉर्ट सर्किट हुआ है। निश्चित रूप से यह प्राकृतिक आपदा नहीं है बल्कि लापरवाही का परिणाम है।
सेना नहीं आती तो हादसा, गंभीर हो सकता था
एमएस विनेकी स्कूल, पाटन की टीचर ने शोभा सैरेया बताया कि बस में 37 बच्चे सवार थे। जो पिकनिक के लिए पार्क जा रहे थे। हालांकि स्कूल से निकलने के दौरान बस सही थी। लेकिन अचानक ही डुमना रोड पर बस में शॉर्ट सर्किट हुआ और धुआं निकलने लगा। राहगीरों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। सेना की फायर ब्रिगेड सहित फैक्ट्री के तीन वाहन मौके पर पहुंचे। लिहाजा काफी मशक्कत के बाद आग में काबू पा लिया गया। सेना के जवानों ने सूझबूझ के साथ सभी को बस से बाहर सुरक्षित निकाला। थोड़ी देर में बस धू-धूकर जलकर राख हो गई।
मध्य प्रदेश में खटारा यात्री बसों को स्कूल बस बना दिया जाता है
लगभग पूरे मध्य प्रदेश में इस प्रकार की खटारा यात्री बसों को स्कूल बस बना दिया जाता है जिन बसों में यात्री, सफर करने से इनकार कर देते हैं। दरअसल, बस संचालकों का मानना है कि स्कूल बसों को लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ती। उन्हें एक दिन में अधिकतम 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है इसलिए खटारा बस भी चल जाती है। इस प्रकार की बसें कबाड़ के भाव मिल जाती हैं। बड़े यात्रियों के समान बच्चे शिकायत नहीं करते। आरटीओ अंकल की खिड़की पर प्रसाद चढ़ा दो तो सारे कागज मिल जाते हैं। नियमित रूप से परिक्रमा करने पर, आरटीओ अंकल जांच नहीं करते। ट्रैफिक पुलिस वाले टोकते नहीं है। इस प्रकार यह धंधा सफलतापूर्वक चल रहा है।
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