MP NEWS - 30 जून को रिटायर्ड 6 कर्मचारियों को हाई कोर्ट से इंक्रीमेंट के आदेश

सुप्रीम कोर्ट में केस हार जाने के बावजूद मध्य प्रदेश शासन द्वारा 30 जून को सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देने संबंधी कोई नियम परिवर्तित नहीं किया गया है। नतीजा 30 जून को रिटायर होने वाले प्रत्येक शासकीय कर्मचारी को अपना ड्यू इंक्रीमेंट प्राप्त करने के लिए, हाई कोर्ट से आर्डर जारी करवाने पड़ रहे हैं। आज हाईकोर्ट द्वारा 6 कर्मचारियों के लिए आर्डर जारी किए गए। 

6 कर्मचारियों ने संयुक्त याचिका लगाई थी

श्री राजेंद्र कुमार गंगेले, सहायक अभियंता, 30 जून 2023 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जिला छतरपुर से रिटायर्ड, श्री कामता प्रसाद गुप्ता, मुख्य नगर पालिका के पद जिला छतरपुर से रिटायर, श्रीमती मिल्कन चौधरी, आदिवासी विकास जिला बालाघाट से प्राचार्य के पद से 30 जून 2013 को रिटायर्ड, श्री प्रमोद कुमार पयासी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिला कटनी से 30 जून 2023 को रिटायर, श्री उमाशंकर गुप्ता शिक्षक जिला छिंदवाड़ा, दिनांक 30 जून 2020 को रिटायर, श्री गजेन्द्र कुमार बक्शी, शिक्षक 30 जून 2015 को रिटायर्ड, कर्मचारियों द्वारा उनके 30 जून को रिटायर्ड होने के कारण, जुलाई में ड्यू इंक्रीमेंट की मांग को लेकर, उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट याचिका दायर की गई थी।

रिटायर्ड कर्मचारियों/अधिकारियों की ओर से हाई कोर्ट में पैरोकार वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगल पीठ के सामने, पेंशनर्स का पक्ष रखते हुए बताया कि कर्मचारी द्वारा वर्ष भर सेवा करने के पश्चात, सेवा के बदले में मिलने वाले, सेवा लाभ, कर्मचारी के पक्ष में, विधिक/कानूनी अधिकार उत्पन्न करते हैं, उक्त उद्भूत विधिक अधिकार से कर्मचारी को वंचित नहीं किया जा सकता है, ना ही, निषेध किया जा सकता है। अतः, कर्मचारी को जुलाई में मिलने वाले, इंक्रीमेंट से वंचित नही किया जा सकता है। जब तक किसी दूसरे कारण से वेतन वृद्धि को नही रोका गया हो।

ऐसा कोई नियम नहीं है, जो, पूर्व में की गई सेवा लाभ या वेतन वृद्धि प्राप्त करने के लिए, यह शर्त अधिरोपित करता हो, कि कर्मचारी को एक जुलाई को सेवा में निरंतर रहना पड़ेगा।

वेतन में, वेतन वृद्धि प्रदान किया जाना, सेवा की एक शर्त है। वेतन वृद्धि, कलंक रहित सेवा के लिए, एक पारितोषिक है, जो कि एक अधिकार के रूप में परिवर्तित हो जाता है।  वेतन वृद्धि प्रदान करने की कालावधि एक वर्ष है। कलंक रहित सेवा पूरे वर्ष देने के पश्चात , शासकीय कर्मचारी, वेतन वृद्धि का पात्र हो जाता है।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा, सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी अपीलें निरस्त कर दी गईं हैं। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में, 30 जून को रिटायर संबंधित कर्मचारी को जुलाई में देय इंक्रीमेंट का पात्र माना है। 

सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय जबलपुर से संबंधित याचिकाकर्ता के विभागों एवम संबंधित जिला पेंशन अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है की याचिकाकर्ता पेंशनर्स को एक वेतन वृद्धि का लाभ, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कानून के अनुसार दिया जावे। उल्लेखनीय है, कोर्ट द्वारा पारित आदेश, केवल याचिकाकर्ता पेंशनर्स के उपर ही लागू है। 

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