Mutual Funds, भारत में बैंक एफडी के बाद दूसरा ऐसा मध्य है जहां भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों का सबसे ज्यादा पैसा लगा हुआ है। करोड़ों लोग अपनी मासिक आय में से बचत के नाम पर SIP कर रहे हैं। आरबीआई ने शुक्रवार को रेपो रेट में कोई भी परिवर्तन नहीं करने का फैसला लिया है। इस फैसले का सीधा असर म्युचुअल फंड्स पर पड़ेगा। आईए, जानने की कोशिश करते हैं कि आरबीआई के अगले फैसले तक म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करना है या नहीं।
डेट म्युचुअल फंड- रिटर्न घटेंगे लेकिन घबराने का नई
वरिष्ठ पत्रकार श्री दिनेश श्रीनेत की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के फैसले का सबसे गहरा असर डेट म्युचुअल फंड में देखने को मिलेगा। इसके रिटर्न 10% से कम रह जाएंगे। मनी मार्केट का सिद्धांत है, बांड का यील्ड और डेड फंड्स विपरीत दिशाओं में चलते हैं। अर्थात यदि बैंक में फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दरें या बांड यील्ड बढ़ता है, तो डेट फंड का नेट एसेट वैल्यू (NVA) कम हो जाता है। म्यूचुअल फंड सलाहकार, निवेशकों को डायनेमिक बॉन्ड फंड, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बैंकिंग और पीएसयू फंड की सिफारिश कर रहे हैं, क्योंकि भारत में एक बड़ा वर्ग 3 साल या उससे अधिक अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करता है।
आरबीआई के फैसले के बाद कहां पर निवेश करना चाहिए
मनी मार्केट के स्पेशलिस्ट कहते हैं कि, बहुत ही शार्ट-टर्म म्यूचुअल फंड जैसे लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड आदि में निवेश कर सकते हैं। छोटी अवधि के फंड, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड, बैंकिंग और पीएसयू फंड इत्यादि में निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
डिस्क्लेमर:- कृपया इन्वेस्टमेंट का डिसीजन बनाने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह मशवरा जरूर करें एवं हमेशा ध्यान रखें कि स्टॉक मार्केट में जब आप इन्वेस्ट करते हैं तो उसका सारा जोखिम हमेशा सिर्फ आपका होता है।
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