MP NEWS - कलेक्टर अभय बेडेकर तहसीलदार जोशी एवं TI वर्मा सहित 5 के खिलाफ लोकायुक्त FIR

भारतीय प्रशासनिक सेवा 2014 बैच के अधिकारी श्री अभय अरविंद बेडेकर, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रितेश जोशी, पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आफ पुलिस एनएस बोरकर एवं सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन के खिलाफ इंदौर लोकायुक्त द्वारा FIR दर्ज की गई है। मामला प्रॉपर्टी का है और उपरोक्त सभी अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग का आरोप है।

त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था इंदौर का मामला

एसपी (लोकायुक्त) एसएस सर्राफ के मुताबिक, नंदानगर निवासी ईश्वर अग्रवाल (त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था) ने तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर, नायब तहसीलदार रितेश जोशी, खजराना थाना के तत्कालीन टीआइ दिनेश वर्मा, ASI एनएस बोरकर, सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन के विरुद्ध सीधे लोकायुक्त को शिकायत भेजी थी। ईश्वर अग्रवाल ने कथनों में बताया कि वर्ष 2021 में त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के विरुद्ध खजराना थाना में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया था। अफसरों ने रिपोर्ट में दावा किया कि संस्था की खजराना क्षेत्र स्थित आवासीय प्रयोजन की 15 एकड़ जमीन को न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था द्वारा पूर्व में ही खरीदा जा चुका था, जबकि निरीक्षक (सहकारिता) प्रवीण जैन उस वक्त न्याय विभाग संस्था के प्रशासक थे। बेड़ेकर द्वारा रिपोर्ट भेजी और नायब तहसीलदार को थाने भेजकर एफआइआर दर्ज करवाई।

दबाव बनाने के लिए पुलिस थाने में FIR दर्ज की गई

त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि एफआइआर तथ्यों को छुपाकर दर्ज की गई है। जिस जमीन को न्याय विभाग संस्था की संपत्ति बताया, उसका तो त्रिशला गृह निर्माण संस्था द्वारा रजिस्टर्ड विक्रय पत्र द्वारा खरीदकर तहसीलदार न्यायालय से नामांतरण करवा लिया गया था। अफसरों द्वारा दर्ज करवाई गई एफआइआर फर्जी बताई और दावा किया कि वर्ष 2017 में भी एक एफआइआर दर्ज हुई थी। इसे कोर्ट ने खारीज करते हुए टिप्पणी की कि प्रकरण सिविल प्रकृति का है।

लोकायुक्त ने करवाई थी मामले की जांच

लोकायुक्त द्वारा मामले की जांच करवाई गई तो यह तथ्य भी सामने आया कि न्याय विभाग संस्था द्वारा गैर रजिस्टर्ड एवं बगैर स्टांप ड्यूटी के इकरारनामा के आधार पर जमीन खरीदने का दावा किया है। जांच में जमीन शासकीय और सीलिंग की नहीं पाई गई। लोकायुक्त ने जांच में पाया कि सिविल प्रकरण की एफआइआर दर्ज की और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी अनदेखा किया। 

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