ऋषि पंचमी व्रत कथा एवं विधि - स्त्री दोष निवारण के लिए, - Rishi Panchami Vrat Katha and method

भारतीय सनातन धर्म में स्त्री जब मासिक धर्म या रजस्ख्ला (पीरियड) में होती है तब उसे सबसे अपवित्र माना जाता है। उस दोष निवारण हेतु वर्ष में एक बार ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में सप्त ऋषि मंडल के सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। जिससे उनके दोषों का निवारण होता है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इस बार यह व्रत दिनांक 20 सितंबर 2023 को तक मनाया जायगा। 

ऋषि पंचमी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

धार्मिक मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को खेतों में उगने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन वर्जित बताया गया है। इस दिन चाय में शक्कर वर्जित होती है क्योंकि गन्ना खेतों में उगता है। यदि टमाटर और मिर्ची आपके अपने बगीचे से नहीं है, तो उसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि किसान टमाटर और मिर्ची की खेती करते हैं। ऋषि पंचमी के दिन बगीचे की वनस्पति के फलों का सेवन उत्तम बताया गया है।

ऋषि पंचमी के दिन कैसे नहाना चाहिए

ऋषि पंचमी के दिन कैसे नहाना चाहिए? साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यदि गंगा में स्नान करना संभव नहीं है तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

ऋषि पंचमी व्रत कथा

किसी नगर में एक ब्राह्मण पति पत्नी रहते थे। उनके एक पुत्र तथा पुत्री भी थी। पुत्री का विवाह उन्होने एक सम्भ्रांत कुल में किया लेकिन कुछ समय मॆ उनकी बिटिया विधवा हो गई। तब उसके जीवन निर्वाह के लिये वे उसे नदी तट पर एक कुटिया बनाकर रहने लगे। समय बीतने पर ब्राह्मण कन्या के पूरे शरीर मॆ कीडे पढ़ने लगे। तब ब्राह्मण ने किसी ऋषि से इसका कारण पूछा तो ऋषि ने ध्यान लगाकर बताया की तुम्हारी पुत्री ने पिछले जन्म मॆ मासिक धर्म के नियमों का पालन नही किया, जिसके कारण इसे वैधव्य तथा बीमारी ने घेर रखा है। यदि यह भाद्रपदशुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी) के दिन सप्त ऋषियों का विधि विधान से पूजा करे तो उसके समस्त कष्टों का निवारण हो सकता है। ऋषि के कहे अनुसार करने पर वह ब्राह्मण कन्या मासिक धर्म के समय किये गये दोषों से मुक्त हुई तथा अंत मॆ उच्च लोकों में गमन किया।

ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजा कैसे करे

इस दिन सभी स्त्रियाँ जिन्हे मासिक धर्म आता है उन्हे यह व्रत करना चाहिये। ब्रम्हा मुहूर्त मॆ स्नान कर एक विशिष्ट वनस्पति की दातुन से दंत्धावन करने के पश्चात सप्त ऋषियों का पूजन पाठ करना चाहिये। तत्पश्चात सात ब्राह्मणों को भोजन या फल दान करना चाहिये। इस व्रत के करने से स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति तथा दोषों से छुटकारा मिलता है।

ऋषि पंचमी व्रत का उधापन

जब महिला की माहवारी बंद हो जाती है उस समय किसी भी पंचमी को इस व्रत का उधापन किया जा सकता है। यह व्रत सभी कुआरी तथा विवाहित महिलाओं के श्रेष्ठ फलदायक है। इसे अपने सौभाग्य की वृद्धि के लिये अवश्य करना चाहिये। 

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