IPC 169 - सरकारी कर्मचारी द्वारा संपत्ति खरीदना कब दंडनीय अपराध हो जाता है, पढ़िए - Quiz

Bhopal Samachar
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Legal general knowledge and law study notes

शासकीय सेवक बिना सरकार की अनुमति के न तो किसी संपत्ति को खरीद सकता है न ही कोई किसी संपत्ति की नीलामी में बोली लगा सकता है। इसके लिए उसे मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियमों का पालन करना अति-आवश्यक होता है। अगर कोई शासकीय सेवक बिना अनुमति के कोई संपत्ति खरीदता है या किसी संपत्ति की नीलामी में भाग लेता है तब उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 169 की परिभाषा, सरल हिंदी में

यदि कोई लोकसेवक, सरकारी अधिकारी अथवा शासकीय कर्मचारी उसके लिए निर्धारित सेवा नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी भी प्रकार की संपत्ति को खरीदा है, अथवा किसी नीलामी में बोली लगाता है, अथवा किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर साझेदारी में खरीदा है, अथवा किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदी में आंशिक रूप से भागीदार हैं, तो वह आईपीसी की धारा 169 के तहत अपराधी घोषित किया जाएगा। उसके खिलाफ पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज किया जाएगा और उसे सजा के निर्धारण के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 

Indian Penal Code, 1860 Section 169 punishment 

यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते हैं। अर्थात पुलिस थाने में मामला दर्ज किया जाता है, लेकिन गिरफ्तार नहीं किया जाता। जांच में सहयोग करने एवं न्यायालय के आदेश अनुसार उपस्थित होने की शर्त पर थाना प्रभारी द्वारा जमानत मंजूर कर दी जाती है। न्यायालय में ऐसे मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। अपराधी कर्मचारी अथवा अधिकारी को 2 वर्ष का कारावास और जुर्माना से दंडित करने का प्रावधान है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

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