BHOPAL और हनुमंतिया सहित मध्यप्रदेश यह सभी नदी तालाबों में क्रूज और मोटर बोट पर NGT का प्रतिबंध

National Green Tribunal, Bhopal 

मध्य प्रदेश के सभी नदी और जलाशयों में क्रूज और मोटर बोट सहित उन सभी परिवहन साधनों पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण भोपाल द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो डीजल से चलते हैं। एनजीटी ने माना कि, डीजल और डीजल इंजन से उत्सर्जित सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी को एसिडिक बना देता है। इस पानी को पीने से इंसानों और पानी में रहने वाले सभी प्रकार के जीवो को कैंसर होता है। 

Madhya Pradesh news- NGT decision for cruise boat and motor boat 

पर्यावरणविद् श्री सुभाष पांडे ने याचिका दाखिल की थी। उन्होंने दावा किया था कि पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित नियमों की अनदेखी करके भोज वेटलैंड में क्रूज बोट को अनुमति दी गई है।  उनका कहना है कि यात्रियों के साथ क्रूज जहाज तैरती कॉलोनियों के रूप में कार्य करते हैं जो सीवेज, गंदगी और दूसरे दूषित पदार्थों के साथ पानी को प्रदूषित करते हैं। उनका कहना था कि भोपाल के तालाब इंटरनेशनल रामसर साइट है इसलिए इनकी प्राकृतिक संरचना के साथ में छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। याचिका की सुनवाई जस्टिस सुधीर अग्रवाल एवं पर्यावरण मामलों के विशेषज्ञ अफरोज अहमद द्वारा की गई।

भोपाल के तालाब में क्रूज़ वोट के संबंध में सरकार की दलील 

मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि भोपाल के बड़े तालाब में जल परिणाम की क्रूज वोट का संचालन एक औद्योगिक गतिविधि है और यह मामला एनजीटी के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। इस मामले में एनजीटी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। एनजीटी ने सरकार के तर्क को अस्वीकार कर दिया। एनजीटी ने कहा कि, भोपाल के तालाब में जलपरी क्रूज़ वोट को चलाने की मंजूरी किसी भी वैधानिक संस्था से नहीं ली गई है, इसलिए यह पूरी तरह से अवैध गतिविधि है। 

NGT के इस फैसले से क्या होगा 

सरकार भोपाल के तालाब में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की तैयारी कर रही है। यह प्रोजेक्ट तालाब में डूब जाएगा। इसके अलावा मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड, नदी एवं बांधों की 20 साइट पर क्रूज़ वोट चलाने की प्लानिंग कर रहा है। MPTB का यह प्रोजेक्ट भी नदी में बह जाएगा। एनजीटी ने आदेश दिया है कि, उसके फैसले का पालन 3 महीने के भीतर करके रिपोर्ट सबमिट करें। 

पर्यावरण वालों को भोपाल के तालाब की चिंता क्यों है 

भोपाल का छोटा तालाब और बड़ा तालाब दोनों इंटरनेशनल रामसर साइट है। इसका मतलब यह होता है कि, यहां प्रकृति जीवित है। जीव जंतु यहां रहना पसंद करते हैं। पानी में प्रदूषण कम है। इस प्रकार की जल संरचनाएं पृथ्वी को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए अनिवार्य है। भोपाल के तालाब में 15 से ज्यादा प्रजातियों की मछलियां और कछुए पाए जाते हैं। यह दुनिया भर के 2500 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी प्रजनन के लिए आते हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भोपाल शहर के लगभग 1200000 लोग भोपाल के तालाब का पानी पीते हैं। इसलिए तालाब के पानी से कैंसर का खतरा नहीं होना चाहिए। 

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