MP NEWS- ग्वालियर-शिवपुरी में गिरे चंद्रयान के टुकड़े या फिर उल्कापिंड की बारिश

मध्य प्रदेश के ग्वालियर और शिवपुरी जिले की करीब 40 किलोमीटर सीमा क्षेत्र में आसमान से धातु के टुकड़ों की बारिश हुई है। इनमें से ज्यादातर गोलाकार है। जिन्होंने पब्लिक को विचलित कर दिया उनका वजन 50 किलो से अधिक है। माना जा रहा है कि या तो यह चंद्रयान के टुकड़े हैं या फिर 13 अगस्त को दिखाई दी उल्का पिंड की बारिश है। 

ग्वालियर जिले के भितरवार क्षेत्र के जौरा श्यामपुर गांव से जानकारी मिली। उसके बाद पता चला कि शिवपुरी जिले के सीहोर क्षेत्र में भी इसी प्रकार की धातु की टुकड़ों की बारिश हुई है। अब तक करीब 6 से अधिक बड़े टुकड़ों की जानकारी प्रशासन को मिल चुकी है। इनका वजन 50 किलो से अधिक है। इनके गिरने से खेतों में 2 फीट से ज्यादा गहरा गड्ढा हो गया। लोगों ने पहले पुलिस को सूचना दी फिर जिला प्रशासन को बताया गया और कलेक्टर ने DRDO को सूचना पहुंचाई है परंतु समाचार लिखे जाने तक इन टुकड़ों की पहचान के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। 

आसमान से धातु की बारिश कब होती है

1. अब तक के रिकॉर्ड में पाया गया है कि आसमान से धातु की बारिश उल्कापिंड के कारण होती है। साल में एक बार उल्का पिंड बड़ी मात्रा में पृथ्वी की ओर आकर्षित होते हैं। इनमें से ज्यादातर पृथ्वी से टकराने से पहले ही धूल के कणों में परिवर्तित हो जाते हैं और फिर अनंत काल तक पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन जो उल्का पिंड 1 स्क्वायर किलोमीटर या फिर इससे भी ज्यादा बड़े होते हैं वह पृथ्वी से टकरा जाते हैं और कई बार जमीन पर आकर गिरते हैं। यह बहुत तेज गति से गिरते हैं, इन में आग लगी होती है और इसके कारण का तेजी से क्षरण होता जाता है। लेकिन हर परिस्थिति में इनका आकार गोल रहता है। अभी 13 अगस्त को पृथ्वी पर उल्का पिंड की बारिश हुई है। इसलिए संभव है कि उल्कापिंड के कुछ टुकड़े धरती के अंदर प्रवेश कर गए होंगे। 

2. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में समुद्र किनारे एक बड़ा सा धातु का टुकड़ा मिला। उसका आकार भी गोल था। ऑस्ट्रेलिया ने दावा किया कि यह भारत के चंद्रयान का टुकड़ा है। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि, चंद्रयान के कुछ टुकड़े यहां भी आकर गिरे होंगे, हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है क्योंकि ग्वालियर और शिवपुरी किसी भी समुद्र के किनारे नहीं है। 

3. सेटेलाइट या उसके टुकड़े भी हो सकते हैं। पृथ्वी पर चारों ओर इतने ज्यादा सेटेलाइट है, ऐसा लगता है जैसे गेंदे के फूलों की माला लपेट दी गई हो। संभव है कि अंतरिक्ष में सैटेलाइट का एक्सीडेंट हुआ हो और कोई एक अथवा एक से अधिक सेटेलाइट पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आ गए हो। 

धातु के टुकड़ों का रिश्ता किसी ग्रह से है अथवा किसी अंतरिक्ष यान से इसका सही जवाब तो DRDO के वैज्ञानिक ही दे पाएंगे परंतु धातु के टुकड़ों की बारिश ने लोगों में कौतूहल पैदा कर दिया है। संतोषजनक बात यह है कि इस क्षेत्र के लोग समझदार हैं और उन्होंने धातु के टुकड़ों को देवता मानकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं की है। 

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