मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग, भोपाल के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने आरटीआई आवेदन लौटाने के आदतन अपराधी ग्राम पंचायत सचिव श्री लखपत यादव पर 2 मामलों में 15-15 हजार का जुर्माना और एक मामले में अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। 
पंचायत सचिव हर बार आरटीआई आवेदन लेने से इनकार कर देता है
राज्य सूचना आयोग, भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार श्री लखपत यादव नौबस्ता पंचायत के सचिव थे। वर्तमान में ग्राम पंचायत रौसर के सचिव के पद पर पदस्थ है। दोनों ग्राम पंचायत जनपद पंचायत रीवा के अंतर्गत आती है। एवं आरटीआई आवेदन श्री सत्यनारायण त्रिपाठी रीवा जिले के नौबस्ता गांव में रहते हैं। उन्होंने एक के बाद एक तीन बार रजिस्टर्ड डाक के जरिए आरटीआई आवेदन भेजा। इसमें उन्होंने ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों का लेखा-जोखा मांगा था। तीनों लिफाफे पर डाकिया की एक समान टप दर्ज थी। ग्राम पंचायत के सचिव श्री लखपत यादव ने डाक लेने से इनकार किया। इसके कारण आवेदक श्री सत्यनारायण त्रिपाठी ने तीनों मामलों में अलग-अलग शिकायतें राज्य सूचना आयोग के समक्ष सीधे दर्ज करवा दी। श्री त्रिपाठी का आरोप था कि पंचायत सचिव जानबूझकर उनकी डाक वापस लौट आ रहे हैं। 
डाकिए की टीप साक्ष्य के समान होती है
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इन प्रकरणों में लखपत यादव को जिम्मेदार मानते हुए 25 हजार  और अनुशासनिक कार्रवाई का शो कॉज नोटिस जारी किया। भोपाल स्थित सूचना आयोग कार्यालय में लखपत यादव को सुनवाई के लिए तलब किया गया। श्री यादव ने आयोग के सामने डाक को लौटाने की घटना से ही इंकार कर दिया। उसने यह भी कहा कि उसे नहीं मालूम कि डाक किसने लौटाई। ग्राम पंचायत सचिव श्री यादव अपने पक्ष के समर्थन में किसी भी प्रकार का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए। राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने कहा कि, डाक विभाग भी भारत सरकार का संस्थान है और डाकिए की टीप को न्यायालय में साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किया जाता है। यदि कोई दावा करता है कि डाकिए की टीप असत्य है तो उसे अपना पक्ष भी प्रमाणित करना होगा।
पंचायत सचिव लखपत यादव का आरटीआई एक्ट के तहत क्राइम रिकॉर्ड
राज्य सूचना आयोग के समक्ष इस बात का खुलासा भी हुआ कि ग्राम पंचायत के सचिव श्री लखपत यादव आरटीआई एक्ट का आदतन अपराधी है। वह अक्सर आरटीआई आवेदन लेने से इनकार कर देता है। इसके चलते उसके खिलाफ पूर्व में ₹5000 जुर्माना की कार्रवाई हुई थी। एक अन्य मामले में श्री यादव को संरक्षण देने के कारण मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। इसके अलावा हाल ही में श्री लखन यादव को पंचायत विभाग में अनियमितता के आरोप में सस्पेंड कर दिया था।
RTI आवेदन लेने से कोई इंकार नही कर सकता
राज्य सूचना आयुक्त ने इस बात पर आपत्ति ली कि कोई अधिकारी आरटीआई आवेदन को वापस नहीं लौटा सकता है। उसे आरटीआई एक्ट के अधीन प्रकरण को आवेदन को अंतरित करना चाहिए था। सिंह इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अधिकारियों और लोक सूचना अधिकारी की मिली-जुली कुश्ती चल रही है जिसमें हर स्तर पर डाक लौटाई जा रही थी। यह मानते हुए कि कानून के प्रति किसी की कोई जवाबदेही नहीं बनेगी। 
आरटीआई आवेदन गलत पते पर आ गया तो क्या करेंगे
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया कि आरटीई एक्ट की धारा 3 और 6 के तहत इस देश के हर नागरिक को आरटीआई दायर करने का अधिकार प्राप्त है और कोई भी अधिकारी आरटीआई आवेदन को लेने से इंकार नहीं कर सकता है। सिंह ने आदेश में यह भी जानकारी दी कि अगर जानकारी विभाग से संबंधित नहीं है तो अधिकारियों को धारा 6 (3) के तहत आरटीआई आवेदन 5 दिन के भीतर संबंधित विभाग को अंतरित करना होगा।  
पंचायत सचिव लखपत यादव पर 30000 का जुर्माना और अनुशासनिक कार्रवाई
सूचना आयोग ने प्रकरण में कार्रवाई करते हुए लखपत यादव के ऊपर 2 प्रकरणों में 15-15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। वही तीसरे मामले में बार-बार आरटीआई आवेदन लेने से इंकार करने को राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम के विरुद्ध बताते हुए पंचायत विभाग के विकास आयुक्त को लखपत यादव के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। 
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