मध्य प्रदेश शिक्षक चयन परीक्षा- कमिश्नर ने नहीं सुना इसलिए कैंडीडेट्स, कोर्ट जा रहे हैं - MP NEWS

Bhopal Samachar
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Madhya Pradesh government school teachers recruitment

मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल के माध्यम से शिक्षक चयन परीक्षा का आयोजन करवाया जा रहा है। नोडल एजेंसी, लोक शिक्षण संचालनालय, मध्य प्रदेश, भोपाल है। इस परीक्षा में आयु सीमा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। DPI कमिश्नर को मामला संज्ञान में लेकर त्रुटि सुधार करना चाहिए था परंतु कमिश्नर में कैंडिडेट की एक नहीं सुनी। नतीजा कैंडिडेट हाई कोर्ट जा रहे हैं। 

मध्य प्रदेश शिक्षक चयन परीक्षा आयु सीमा विवाद क्या है

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षक की पात्रता परीक्षा हेतु, अधिकतम आयु 42 वर्ष रखी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 18/9/22, द्वारा पिछले तीन वर्षों में कोई पात्रता/चयन परीक्षा संचालित नही होने के कारण तीन वर्षों की छूट प्रदान की गई थी। छूट के आधार पर अभ्यर्थी साल 2018 एवम 2023 उच्च माध्यामिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल होकर क्वालीफाई घोषित हुए। उल्लखेनीय है कि पूर्व में कर्मचारी चयन मंडल द्वारा (ESB) चयन परीक्षा का प्रावधान नहीं था।

पात्रता परीक्षा के बाद चयन परीक्षा में भी आयु सीमा निर्धारित कर दी

वर्तमान में मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा चयन परीक्षा आयोजित की जा रही है। शिक्षक पात्रता परीक्षा में पास अभ्यर्थी ही इसमें आवेदन के पात्र हैं परंतु MPESB द्वारा, सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के विपरीत, उच्च माध्यमिक शिक्षक हेतु अधिकतम आयु 40 (अनारक्षित) अधिरोपित की गई है। आरक्षित वर्ग हेतु, आयु 45 साल है। कर्मचारी चयन मंडल के नए नियम के अनुसार एवम परिणामस्वरूप पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण ऐसे सभी चयन परीक्षा में शामिल होने से वंचित हैं, जिनकी आयु 40 वर्ष से अधिक है। 

भर्ती प्रक्रिया के सेकंड राउंड में आयु सीमा नहीं बदल सकते

अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी , उच्च न्यायालय जबलपुर के अनुसार, पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी का चयन परीक्षा में शामिल होने से वंचित किया जाना सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का उल्लघंन है। कर्मचारी चयन आयोग द्वारा यह निर्णय सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश को विचार में लिए बिना गया है। उपरोक्त आदेश की व्याख्या एवम क्रियान्वयन भेदभाव एवम मनमाने तरीके से नही हो सकता है। यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। एक तरफ पात्रता परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाना, एवम चयन परीक्षा से वंचित किया जाना न्यायोचित नहीं है। कर्मचारी चयन मंडल के निर्णय के बाद, न्यायलयीन वाद भी उत्पन्न हो रहे हैं। 

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