Gwalior Swarna Rekha River High Court news
प्राकृतिक जल संरचनाओं (तालाब और नदियों) को बचाना सरकार का काम है परंतु ग्वालियर हाईकोर्ट में नजारा उल्टा है। यहां याचिकाकर्ता और हाई कोर्ट, स्वर्णरेखा नदी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि सरकार की तरफ से सीधा जवाब दिया गया है कि, हमारी लापरवाही एवं गलत फैसलों के कारण स्वर्णरेखा नदी नाला बन गई है परंतु हम इस नाले को फिर से नदी नहीं बना सकते।
अजीब बात है, हाई कोर्ट को बताना पड़ा कि नदी बचाने के लिए क्या करना होगा
गुरुवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने तर्क दिया कि स्वर्ण रेखा में बड़ी संख्या में नाले मिलते हैं। इस वजह से यह नदी के स्वरूप में लौटना मुश्किल है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए लंच के बाद नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह, अपर कलेक्टर, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को तलब कर लिया। तीनों अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए। हाईकोर्ट ने उन्हें बताया कि स्वर्णरेखा नदी को, नदी बनाए रखने के लिए क्या करना होगा।
स्वर्णरेखा नदी बचाने 2019 से चल रही है सुनवाई
ग्वालियर के गोसपुरा निवासी विश्वजीत रतोनिया ने वर्ष 2019 में स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी व अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि स्वर्ण रेखा अब नाला बन गई है। इसके तल में कंक्रीट की गई थी, जिससे वाटर रीचार्ज सिस्टम भी खत्म हो गया है। सीवर लाइनें जोड़ने सेगंदगी हो रही है। कंक्रीट को हटाकर स्वर्ण रेखा को मूल रूप में लाया जाए।
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