भोपाल। पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रेलवे में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले रैकेट के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है परंतु इस रैकेट का मास्टरमाइंड और रेलवे अधिकारी एवं बैंक अधिकारी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। पुलिस को उनका नाम तक नहीं पता।
इस तरह की ठगी के मामले की शिकायत इंदौर निवासी प्रीतपाल सिंह बाधवा ने लगभग 4 माह पहले क्राइम ब्रांच भोपाल में की थी। प्रीतपाल ने पुलिस को बताया कि एक परिचित व्यक्ति संदीप दास के जरिए वह नीरज नेल्सन से मिला था। नीरज ने खुद को रेलवे बोर्ड का अधिकारी बताते हुए उनके बेटे प्रतीक सिंह बाधवा की रेलवे में नौकरी लगवाने का झांसा दिया और फर्जी अपाइंटमेंट लेटर देकर 8 लाख 35 हजार रुपये ठग लिए। जब पता चला कि लेटर फर्जी है तो उन्होंने संदीप और नीरज से पैसे वापस मांगे। पहले तो दोनों पैसे लौटाने की बात कहते रहे, लेकिन एकाएक दोनों गायब हो गए।
शिकायत मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर पिछले दिनों एक आरोपी संदीप दास को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि नीरज फरार चल रहा था। बुधवार को क्राइम ब्रांच ने नेल्सन को सागर जिले के गढ़ाकोटा से हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बताया कि दोनों बड़ी शातिर हैं। ना केवल उम्मीदवारों को फर्जी नियुक्ति पत्र देते थे बल्कि DRM BHOPAL की टी शर्ट पहना कर रेलवे स्टेशन की विजिट भी करवाते थे। बैंक बैंक का सैलरी अकाउंट खुलवा कर 2-4 महीने सैलरी भी ट्रांसफर करते थे।
इस मामले में पुलिस ने दोनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर दिया है परंतु जिस तरह की कहानी सामने आई है उससे लगता है कि कुछ रेलवे अधिकारी और बैंक अधिकारी भी इस अपराध में शामिल हो सकते हैं। वरना क्या कारण है कि DRM BHOPAL की टीशर्ट पहनकर कुछ लोग खुलेआम रेलवे स्टेशन के अंदर विजिट करें और कोई पूछताछ ना हो। दूसरे जब बैंक में सैलरी ट्रांसफर होती है तो यह भी पता चलता है कि सैलरी भेजने वाला कौन है। सौभाग्य के बैंक खाता रेलवे से संबंधित किसी नाम से खोला गया होगा। यानी बैंक का कोई अधिकारी भी इस अपराध में शामिल है।
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