साहब शब्द कहां से आया और इसका सही अर्थ क्या है, साहिब, साहब और साहेब में क्या अंतर है - GK Today

Amazing facts about Hindi language - Bhopal Samachar GK

हिंदी भाषा में कई सम्मान सूचक शब्द है परंतु भारत में आम बोलचाल की भाषा में सबसे ज्यादा साहब शब्द का उपयोग किया जाता है। श्री रामचरितमानस में भी साहिब शब्द का उपयोग किया गया है और सिख धर्म में भी साहिब शब्द का उपयोग किया जाता है परंतु यह ना तो हिंदी भाषा का शब्द लगता है और ना ही गुरुमुखी। सवाल यह है कि साहब शब्द कहां से आया। इसका साहिब से क्या कनेक्शन है और साहब शब्द का सही अर्थ क्या होता है। 

साहिब शब्द की उत्पत्ति, इतिहास एवं अर्थ

हिंदी भाषा के विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं लेखक श्री अरविंद व्यास के अनुसार साहिब शब्द को इस प्रकार (षाहिब) लिखते हैं। हिंदी भाषा के उपयोगकर्ताओं को षाहिब जैसे शब्दों के उच्चारण की आदत नहीं है इसलिए भारतवर्ष में इसे साहिब कहा गया। यह मूल रूप से अरबी भाषा का शब्द है। प्राचीन भारत वर्ष में साहिब शब्द का अर्थ होता था ईश्वर के समकक्ष या भगवान के साथी।  ननकाना साहिब, गुरु ग्रंथ साहिब यहां तक की श्री रामचरितमानस में भी (साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसी दास) साहिब शब्द का उपयोग किया गया है। यहां भगवान विष्णु के अवतार श्री राम के लिए तुलसीदास जी ने साहिब शब्द का उपयोग किया है। 

साहब शब्द की उत्पत्ति, इतिहास एवं अर्थ

भारत में अंग्रेजी सत्ता स्थापित होने के बाद एक निर्धारित रणनीति के तहत साहब शब्द का सरकारीकरण किया गया। भाषा के विशेषज्ञ आपत्ति ना करें इसलिए साहिब को साहब बना दिया गया। जिस प्रकार साहिब का अर्थ होता है भगवान के साथ ही उसी प्रकार साहब का अर्थ होता है सरकार के साथी अथवा प्रतिनिधि। यह इसलिए भी किया गया क्योंकि ऐसा करने से आम नागरिक आसानी से समझ पा रहे थे। 

साहेब शब्द की उत्पत्ति इतिहास एवं अर्थ 

साहेब शब्द मूल रूप से साहब के खिलाफ रचा गया। जहां एक तरफ साहब सरकार का साथी और प्रतिनिधि होता था वहीं दूसरी तरफ साहेब जनता का साथी और प्रतिनिधि बताया गया। बालासाहेब ठाकरे, बाबासाहेब आंबेडकर।

साहिब, साहब और साहेब शब्द में अंतर 

अब तक स्पष्ट हो गया होगा कि साहिब और साहब शब्द में केवल एक मात्रा का अंतर नहीं है बल्कि दोनों शब्दों के बीच एक सोची समझी साजिश है। साहिब के सामने हर नागरिक श्रद्धा से सिर झुकाता है और साहब के सामने मजबूरी में सर झुकाना पड़ता है। जबकि साहेब के सामने सर झुकाना नहीं पड़ता बल्कि उनके साथ सर उठाकर खड़े रह जाता है। 

✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है। यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !