Legal Advice - सह-अपराधी का समझौता शमनीय अपराध में कैसे किया जाएगा, जानिए

CrPC section 320 sub section 3 definition in Hindi

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 (1) में उन अपराधों के समझौता के बारे में बताया गया है जिनका समझौता पक्षकार स्वयं न्यायालय की बिना मंजूरी के न्यायालय के बाहर कर लेते हैं एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 (2) में उन अपराधों के समझौते के बारे में बताया गया है जिनका समझौता, पक्षकार, न्यायालय की आज्ञा के बिना नहीं कर सकते हैं अर्थात न्यायालय की मंजूरी से पक्षकार समझौता कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 320 (1) एवं 320 (2) के शमनीय अपराधों में सह अपराधी है या किसी विधि विरुद्ध जमाव के अपराध में सह-अपराधी है तब ऐसे सह-अपराधी का समझौता किस कानून के अंतर्गत किया जाएगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 की उपधारा 03 की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34 या धारा 149 के अंतर्गत अपराधी है और वह दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320(1) एवं 320(2) के अपराधों में शमन (समझौता) करना चाहता है तब उसका समझौता उसी प्रकार किया जाएगा जैसे मुख्य अपराधी का किया जा रहा हो। 

साधारण शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध में अपराधी सिद्ध किया गया है एवं उसके साथ अन्य सह-अपराधी भी है तब वह सह-अपराधी डायरेक्ट उस पीड़ित व्यक्ति से समझौता कर सकते हैं जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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