Madhya Pradesh Janpad Panchayat sadasya protest news
मध्य प्रदेश की जनपद पंचायतों के सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के घर में टेंट लगाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। इससे पहले सभी लोग भोपाल के अंबेडकर पार्क में शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे। भोपाल पुलिस एवं प्रशासन ने सभी को वहां से खदेड़ा तो सभी प्रदर्शनकारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के के लिए आवंटित सरकारी बंगले पर आ गए।
भोपाल पुलिस प्रदर्शनकारी नेताओं को पकड़ कर जंगल में छोड़ आई थी
जनपद सदस्य भोपाल के आंबेडकर पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन उन्हें अंबेडकर पार्क से जनपद सदस्यों को पुलिसकर्मी वैन में बिठाकर जंगलों में छोड़ आए थे। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने जनपद सदस्यों से कहा कि आप मेरे घर के बाहर धरने पर बैठ सकते हैं। ऐसे में मंगलवार को सभी लोग सिंह के बंगले के बाहर धरने पर बैठे।
दिग्विजय सिंह ने धरने पर बैठे जनपद सदस्यों से कहा कि, 'पुलिस ने जो आपके साथ बर्ताव किया, वो शर्मनाक है। पुलिस ने महिलाओं को जंगल में छोड़ दिया। बच्चे बिलखते रहे, इससे ज्यादा अमानवीय क्या हो सकता है? जिन अधिकारियों ने ये कृत्य किया उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। आप संकल्प लें कि हमें भाजपा को हराकर कांग्रेस की सरकार बनानी है। कांग्रेस ही आपको अधिकार दे सकती है।
दिग्विजय सिंह ने प्रदर्शनकारियों को बुलाया, भाषण सुनाया और घर भेज दिया
प्रदर्शनकारी अपनी समस्याओं का समाधान का लक्ष्य लेकर भोपाल आए थे। जब दिग्विजय सिंह ने उन्हें अपने घर बुलाया तो, प्रदर्शनकारियों को उम्मीद थी कि स्वयं दिग्विजय सिंह उनके प्रदर्शन में शामिल होंगे और सरकार पर दबाव बनाएंगे परंतु दिग्विजय सिंह ने सबको अपना भाषण सुनाया। आश्वासन दिया कि जब हमारी सरकार बनेगी तब हम आपकी मनोकामना पूरी करेंगे। और फिर सबको अपने अपने घर चले जाने के लिए कह दिया।
मध्यप्रदेश में जनपद पंचायत के सदस्यों की प्रॉब्लम क्या है
धरने को संबोधित करते हुए प्रांतीय जनपद सदस्य संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र चौधरी ने कहा, 'गांधीजी ने "ग्राम स्वराज" की परिकल्पना भारत के प्रत्येक गांव को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया था। उनका मानना था कि अगर गाँव नष्ट हो गये तो हिंदुस्तान भी नष्ट हो जायेगा, क्योंकि हिंदुस्तान की असली पहचान भारत के गांव ही हैं। इसलिए गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गांधी जी ने पंचायती राज व्यवस्था पर जोर दिया था।
जनपद सदस्यों की प्रमुख मांगें
1. पंचायती राज अधिनियम एक्ट 1993 में जनपद सदस्यों को जो अधिकार दिया गया था वही अधिकार पुनः दिया जाये।
2. जनपद सदस्य की राशि टाईड, अनटाईड से मुक्त कर परफारमेंस की राशि के रूप में 25 लाख रुपए समान रूप से हर सदस्यों को दिये जाएं।
3. जनपद सदस्यों को जनपद के वार्ड में विकास हेतु सालाना विकास निधि कम से कम 50 लाख रूपये दिया जाएं।
4. जनपद सदस्यों के क्षेत्र में जो भी निर्माण कार्य स्वीकृत हो उसकी सूचना जनपद सदस्य को होनी चाहिये व तकनीकी स्वीकृति यानी टी.एस. जनपद सदस्य की अनुशंसा से हो।
5. जनपद सदस्यों का मानदेय वर्तमान में 1500/-रु. है उसको बढ़ा करके 25000/- रू. किया जाये।
6. जनपद सदस्य के क्षेत्र में बड़े निर्माण कार्य यानी 25 लाख के ऊपर के निर्माण एजेंसी जनपद सदस्य व जनपद के सी.ई.ओ. का संयुक्त खाता से निर्माण कार्य का संचालन हो, क्योंकि तकनीकी अधिकारी का अमला जनपद में पदस्थ है तो कोई कठिनाई नही होगी।
7. जनपद सदस्य को अपने क्षेत्र के विकास हेतु एवं जनता जर्नादन के कार्य हेतु आये दिन जनपद, जिला, संभाग और राजधानी आना-जाना पडता है। वाहन भत्ता कम से कम 15 हजार रुपए महीना हो।
8. जनपद क्षेत्र के अन्तर्गत जितने कर्मचारी /अधिकारी आते हैं, तो जनपद सदस्य के अनुशंसा से ही उनके वेतन का आहरण हो।
9. जिस तरह से माननीय सांसद व माननीय विधायक के द्वारा स्वेच्छानुदान राशि दी जाती है, उसी प्रकार से जनपद सदस्यों को भी कम से कम 1 लाख रुपए सालाना दिया जाए।
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