जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश शासन के दो नियमों को चैलेंज करने वाले सिंगरौली के करोड़पति ठेकेदार, आरके ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी, हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके गायब हो गए हैं। बार-बार बुलाने पर न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नहीं आ रहे हैं। इसके चलते हाईकोर्ट ने नर्मदा पुरम में रेत उत्खनन का नया टेंडर जारी करने की अनुमति दे दी है।
आरके ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी सिंगरौली ने सरकार को चुनौती दी थी
सिंगरौली की आरके ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से 2021 में याचिका दायर कर माइंस एंड मिनरल्स अधिनियम की धारा 15 (3) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी थी। इसके अलावा याचिका में मप्र रेत (खनन, परिवहन, भंडारण एवं व्यापार) नियम 2019 के नियम 10 (3) एवं 12 (5) को निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया कि याचिका दायर करने के कुछ दिन बाद ही सुनवाई का मौका दिए बिना जल्दबाजी में उनका ठेका निरस्त कर दिया गया। सरकार ने ठेका निरस्त करने का कारण नवंबर व दिसंबर 2021 की रायल्टी भुगतान नहीं होना बताया था।
सरकार ने ठेका निरस्त किया और कलेक्टर ने 169 करोड़ की पेनल्टी ठोकी
याचिकाकर्ता की ओर से स्टाकयार्ड में भंडारित रेत उठाने की अनुमति मांगी थी, जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि माइनिंग अधिकारियों ने स्टाकयार्ड में निरीक्षण किया था। कलेक्टर होशंगाबाद ने भारी मात्रा में अवैध रेत परिवहन और भंडारण पाया था। कलेक्टर ने याचिकाकर्ता कंपनी पर 169 करोड़ 30 लाख रुपये की पेनाल्टी लगाई थी। कोर्ट के अंतरिम आदेश के चलते न तो याचिकाकर्ता के स्टाकयार्ड से रेत जब्त की गई है और न ही रिकवरी की गई है।
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