धार्मिक संस्थाओं को TAX छूट एक मौलिक अधिकार है, जानिए- Fundamental Rights

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं यहां सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं और सभी को अपने-अपने अनुसार धर्म को मानने की कानूनी आजादी मिली हुई है अर्थात अपने अनुसार धार्मिक सम्प्रदाय की स्थापना करना सम्प्रदाय के लिए धन का अर्जन (कमाई) करना, उसका प्रशासन करना एवं अपने धार्मिक विषयों के कार्यक्रम को पूर्ण करना जैसे पूजा, अर्चना, अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना। इन सब मौलिक अधिकार के साथ धार्मिक सम्प्रदाय को एक और मौलिक अधिकार प्राप्त है वो हैं अपने सम्प्रदाय की संपत्ति का कर न देने का जानिए।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 27 की परिभाषा

किसी भी धर्म विशेष या धार्मिक सम्प्रदाय की उन्नति के लिए कर (टैक्स) देने के लिए किसी भी प्रकार से उसे बाध्य नहीं किया जायेगा एवं यही एक धर्म निरपेक्ष राज्य सरकार का संवैधानिक कर्तव्य हैं एवं धार्मिक सम्प्रदाय संस्था का मौलिक अधिकार भी।

कर (Tex) एवं शुल्क (Fee, Duty) में अंतर जानिए

अनुच्छेद 27 का लाभ धार्मिक सम्प्रदाय को सिर्फ कर में छूट प्रदान करती है न कि शुल्क मे जानिए कर और शुल्क मे सामान्य अंतर-

• कर (Tax) राज्य द्वारा वसूल किया जाता है एवं यह अनिवार्य होता है। इसकी वसूली लोक-प्रयोजनार्थ की जाती है एवं करदाता को इसका प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त नहीं होता है।

•  शुल्क (Fee) शुल्क प्रत्येक दशा में अनिवार्य नहीं होता है यह लाभ के लिए लिया जाता है एवं इसके बदले में कुछ विशेष सेवाए दी जाती हैं एवं कार्य भी किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

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