ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक खास प्रकार का अभियान चलाकर ऐसा माहौल बना लिया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कोई भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति नाराजगी प्रकट ना करें परंतु मध्य प्रदेश के 70000 अतिथि शिक्षक और सरकारी कॉलेजों के अतिथि विद्वान न केवल सिंधिया से नाराज हैं बल्कि एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज प्रदूषण के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कुछ पुराने बयान (वीडियो) शेयर करते हुए लिखा, बातों में माहिर, काम में मंथर। उनके इसी वीडियो पर अतिथि शिक्षकों ने कई सवाल दाग दिए। एक कमेंट में लिखा है कि, सिंधिया जी हमें वह दिन भी नहीं भूलना चाहिए जब आपने कमलनाथ सरकार को यह कहा था कि अगर अतिथि शिक्षक,अतिथि विद्वानों की मांगे नहीं मानी गई तो मैं सडकों पर आ जाऊंगा! उसके बाद आप पलायन कर गए, आप मंत्री बन गए!अपने समर्थको को मंत्री बनवा लिया, लेकिन अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वानों का क्या हुआ!
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरविंद केजरीवाल में कोई अंतर नहीं है। दोनों को विशिष्ट पद चाहिए और दोनों खुद को सामान्य नागरिक प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं। दोनों मजबूर लोगों की भावनाओं से खेलते हैं।
मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक और विद्वान ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज क्यों है
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा। कहा था कि 100 दिन में यह काम कर दिया जाएगा। जब नहीं हुआ तो अतिथि शिक्षक एवं विद्वानों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ज्ञापन सौंपा। इसके जवाब में भरी सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि, यदि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने घोषणा पत्र का एक वादा पूरा नहीं किया तो आप के साथ मैं भी सड़कों पर उतर आऊंगा।
इसके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह भी कहा कि, आम जनता के लिए संघर्ष करना सिंधिया परिवार की परंपरा है और इसके लिए हम किसी भी सत्ता और पद को ठुकराने के लिए तैयार हैं। इस बयान के बाद मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक एवं विद्वानों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना सर्वमान्य नेता मान लिया था।
इसके बाद की कहानी सबको पता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दिया और कमलनाथ सरकार को गिरा दिया। भाजपा में शामिल हो गए और केंद्रीय मंत्री बन गए। अतिथि शिक्षक आज भी हाथों में ज्ञापन लिए मध्यप्रदेश में अपने किसी बड़े नेता का इंतजार कर रहे हैं।
सिंधिया जी हमें वह दिन भी नहीं भूलना चाहिए जब आपने कमलनाथ सरकार को यह कहा था कि अगर अतिथि शिक्षक,अतिथि विद्वानों की मांगे नहीं मानी गई तो मैं सडकों पर आ जाऊंगा!उसके बाद आप पलायन कर गए,आप मंत्री बन गए!अपने समर्थको को मंत्री बनवा लिया,लेकिन अतिथि शिक्षक,अतिथि विद्वानों का क्या हुआ! https://t.co/XQUcaJ238O
— MISSON MP ELECTION 2023 (@Nai_yatra) November 4, 2022