जबलपुर। आजकल बच्चों की सारी दुनिया मोबाइल फोन और टेलीविजन रह गई है। स्कूल के कोर्स में यह जानकारियां नहीं होती और ज्यादातर पेरेंट्स भी इंटरेस्ट नहीं लेते क्योंकि उन्हें खुद नॉलेज नहीं है, परंतु जो लोग अपने बच्चों को दुनिया के बारे में सब कुछ सिखाना चाहते हैं। उन्हें चाहिए कि वह अपने बच्चों को प्रवासी पक्षियों के बारे में भी बताएं। जबलपुर के लोगों के पास लिमिटेड टाइम अपॉर्चुनिटी है। गोसलपुर में प्रवासी पक्षी आ गए हैं, कुछ समय तक रुकेंगे और फिर चले जाएंगे। यदि बच्चों को सिखाना चाहते हैं तो गोसलपुर चले जाइए।
गोसलपुर में 200 प्रवासी पक्षी आ चुके हैं
हजारों किलोमीटर दूर से आए इन प्रवासी पक्षियों ने गोसलपुर बस स्टैंड के पास मुख्य सड़क के किनारे लगे इमली के पेड़ पर डेरा डाल दिया है। गोसलपुर तालाब के पास अनुकूल वातावरण होने से वर्षों पुराने पेड़ पर तीन-चार प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का आशियाना है, जो सुबह होते ही कलरव करने लगते हैं और यह सिलसिला शाम तक चलता है। सारस के बड़े आकार व दूधिया शरीर, स्लेटी डेने, गुलाबी चोंच, पीले पैरों वाले यह पक्षी बेहद सुंदर दिखाई देते हैं। वर्तमान में लगभग 200 की संख्या में यह सुंदर पक्षी नगर पहुंच चुके हैं।
तालाब किनारे पेड़ों पर विदेशी पक्षियों का सम्मेलन सा लगता है
बस स्टैंड तालाब के किनारे लगे वर्षों पुराने इमली के पेड़ के साथ-साथ अब प्रवासी पक्षियों ने बरगद, आम के पेड़ों पर अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है। रात्रि में यह पक्षी खामोश मुद्रा में पेड़ों की शाखाओं पर बैठे रहते हैं, जिससे तालाब किनारे लगे कुछ वृक्ष ऐसे लगते हैं कि जैसे सफेद चादर ओढ़ ली हो।
मछलियां व कीट-पतंगे पसंदीदा भोजन
प्रवासी पक्षियों का मुख्य भोजन मछलियां व कीट-पतंगे है। इन पक्षियों को दिन में बस स्टैंड, तालाब परिसर, जुझारी, कछपुरा में मंडराते हुए मछलियों व कीट-पतंगों का शिकार करते देखा जा रहा है।
ठंड खत्म होते ही चले जाएंगे
ग्रामीणों ने बताया कि ठंड बढ़ते ही प्रवासी पक्षियों को यहां आना होता है। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती है। बसस्टैंड, जुझारी और तालाब के पास यह करीब तीन माह रहते हैं। ठंड खत्म होते ही पहले सप्ताह में प्रवासी पक्षी पलायन कर जाते हैं।