मध्य प्रदेश में स्थित ग्वालियर के किले को भारत का जिब्राल्टर कहा जाता है। इतिहासकार यह बताते हुए प्राउड फील करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ग्वालियर के किले को सीधी लड़ाई में कभी नहीं जीता जा सकता इसलिए इसे भारत का जिब्राल्टर कहा जाता है, लेकिन भारत में ऐसे कई किले हैं जिन्हें सीधी लड़ाई में नहीं जीता जा सकता। सवाल फिर वापस आता है कि ग्वालियर के किले को ही भारत का जिब्राल्टर क्यों कहा जाता है।
जिब्राल्टर क्या है, जिब्राल्टर का अर्थ क्या होता है
इस सब्जेक्ट पर की गई एक रिसर्च से पता चलता है कि जिब्राल्टर ब्रिटिश के अधीन एक ऑटोनॉमस एरिया है। यह औबेरियन प्रायद्वीप और यूरोप के दक्षिणी छोर पर भूमध्य सागर के प्रवेश द्वार पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 6.843 (लगभग 7) वर्ग किलोमीटर है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह ब्रिटेन की सेनाओं का सबसे महत्वपूर्ण बेस कैंप रहा है। यहां पर Royal Navy भी मौजूद रहती है। दुनिया के नक्शे में यह विश्व की सबसे छोटी सीमा वाला देश है।
ग्वालियर के किले को इसलिए भारत का जिब्राल्टर कहा गया
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि जिब्राल्टर का मतलब होता है सेना का एक ऐसा ठिकाना जो स्वशासी हो यानी आत्मनिर्भर हो। दुनिया में जितने भी सैनिक ठिकाने हैं वहां सैनिकों को रसद की आपूर्ति किसी दूसरे स्थान से करनी पड़ती है। जिब्राल्टर के अलावा ग्वालियर का किला ऐसा है जहां पर पेयजल उपलब्ध है। एक पूरी सेना अपने लिए खेती कर सकती है। बगीचे लगे हुए हैं। फलदार वृक्ष मौजूद हैं। यानी यहां पर अनिश्चितकाल तक रहा जा सकता है।
यदि दुश्मन इस किले की घेराबंदी करेगा तो वह इंतजार करते-करते मर जाए लेकिन ग्वालियर के किले के भीतर मौजूद सैनिकों की आत्मनिर्भरता खत्म नहीं होगी। यही कारण है कि ग्वालियर के किले को भारत का जिब्राल्टर कहा गया।
अब आपका प्रश्न हो सकता है कि भारत में इस प्रकार की कुछ और भी किले हैं जो आत्मनिर्भर हैं फिर केवल ग्वालियर के किले को ही भारत का जिब्राल्टर क्यों कहा गया। इसका सरल उत्तर यह है कि ब्रिटिश इंडिया शासनकाल में ग्वालियर उनकी एक रियासत था। अंग्रेज अधिकारियों का वहां पर आना-जाना बना रहता था। जो किले अंग्रेज इतिहासकारों ने देखे ही नहीं, उनके बारे में वह इतिहास में क्या लिखते हैं।